लखनऊ : ऐसी सड़कें क्यों बनाई जाती है जो एक बरसात भी न झेल सके। जो सड़कें बरसों पहले बनी थी वो आज भी बेहतर है और जो सड़कें करोड़ों रुपया खर्च कर बनाई गई वो एक बरसात भी न झेल पाए ऐसा क्यों ? इन ख्यालात का इजहार सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन,लखनऊ की मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाली इंजीनियर हया फातिमा बिटिया नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने की। उन्होंने आगे कहा की इस बरसात में सड़कों की कलाई खुल गई। जगह जगह सड़कों पर गढ्ढे हो गए। लोगों का चलना तक मुश्किल हो गया। इन सड़कों पर अब पैच वर्क किया जा रहा है जो ट्रैफिक के आने जाने से गाड़ियों के पहियों तले आकार उधरना शुरू हो गया। क्या फिर नए सिरे से काम होगा और नई सड़कें बनेंगी जिस पर फिर करोड़ों रुपए खर्च आयेंगे। इंजीनियर हया फातिमा ने आगे कहा की क्या सड़क बनाने के लिए कोई पैमाना ते होगा? ठीकेदारों और इंजीनियरों की मिली भगत पर रोक नहीं लगी तो आवाम का पैसा इसी तरह बर्बाद होता रहेगा। इंजीनियर हया फातिमा ने आगे कहा की सरकार को चाहिए की ऐसी सड़कें बनवाए जो tikao मजबूत और मेयारी हो। किसी तरह को कोताही वा लापरवाही करने वाले ठेकेदार और इंजीनियरों के खिलाफ ऐसी कड़ी करवाई होनी चाहिए की दूसरे सबक लें। मोबाइल : 7991575115
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