एडी जी ने साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ पर चिंता जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया सहित किसी भी साइबर पलेट फार्म पर सावधानी सबसे महत्वपूर्ण है।


175 वर्ष पूर्व होने पर सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा द्वारा सैंट पीटर्स कॉलेज के सहयोग से- आज के संवाद का-एडीजी और सैंट पीटर्स कॉलेज के छात्रों का सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने सैंट पीटर्स कॉलेज के सहयोग से श्री राजीव कृष्ण -एडीजी- पुलिस आगरा ज़ोन द्वारा   " चैलेंज ऑफ उर्बन पोलिसींग  एंड रोल ऑफ स्टूडेंट्स एंड पैरेंट्स" विषय   पर आयोजित संगोष्‍ठी (संवाद) में विद्यार्थियों से पढायी के प्रति पूरी तरह से गंभीर रहने के साथ साथ एक भावी सदनागरिक बनने के लिये भी जागरूक रहने का आह्वना किया। उन्‍होंने युवाओं को समाज की सबसे बडी धरोहर बताते बताया और कर्त्‍तव्‍य निष्‍ठ रहने की अपेक्षा की।



संवाद करते हुए छात्र ने पूछा  के टीचर द्वारा स्कूल में पिटाई करने पर कानून में क्या प्रावधान है। एडीजी ने हँसते हुए कहा आज के छात्र भाग्यशाली हैं, हमारे टाइम में तो बहुत पिटाई होती थी। चाक और रूलर का इस्तेमाल होता था। लेकिन अब एस नहीं हैं, टीचर, अभिभावक और छात्र जागरूक हैं, टीचर स्कूल पढ़ाने आते हैं और छात्र पढ़ने। फिर भी अगर अपवाद होता है तो इसके लिए कानून प्रावधान है। पर उनका मानना है, ऐसी नौबत नहीं आनी चाहिए और यह ठीक नहीं है।



एडीजी राजीव कृष्ण ने कहा कि समाज परिवर्तनशील है, मय के साथ कई नयी परंपराये शुरू होती है और पुरानी को पीछे छूटती रहती है। इन्हीं में असहिष्णुता और सहृदयता भी  है। मौजूदा सामाजिक परिदृष्‍य में असहनशीता एक बड़ा कारण है जिसके फलस्‍वरूप विवाद और वाद लगातार बढ़ रहे हैं। लोग छोटे मोटे विवादों में भी सहमति नहीं बनाते और पुलिस के पास पहुंचते हैं।


श्री राजीव कृष्ण जो कि मंगलवार को सेंट पीटर्स  में ट्रैफिक और स्‍टूडेंट से संबंधित मामलों में 'पुलिस और पब्लिक ' सहयोग संबंधित संवाद  को संबोधित कर रहे थे,ने कहा कि समाज में क्या स्थिति है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है,उनके पास आने वाले सौ मामलों में से सत्तर प्रतिशत मामले पड़ोसियों के आपसी झगड़ों, पारिवारिक हिंसा और साइबर क्राइम से संबंधित होते हैं। साइबर क्राइम के अतिरिक्त ये सभी ऐसे मामले हैं जिनमें आपसी सुलह सफाई से सुलझाया जा सकता है।

लेकिन एक प्रोफेशनल पुलिस अधिकारी के नाते वह यह कह सकते है कि जब भी कोई मामला थाना या चौकी पहुंच जाता तो उसका नियंत्रण कानून के दायरे में रहकर करना पुलिस का दायित्व है।उन्‍होंने कहा कि पुलिस की मदद लेने जरूर पहुंचे किन्‍तु आपस में बातचीत कर समस्या समाधान का प्रयास भी करें। घरेलू हिंसा खास कर सास बहू के झगडों को आपसी समझ से निपटा सकें तो ज्यादा उपयुक्त है।

श्री राजीव कृष्ण ने महानगर की ट्रैफिक व्यवस्था को अत्‍यंत गंभीर दौर में पहुंच गया बताया ।उन्‍होंने कहा कि सड़कों पर वाहनों का दबाव लगातार बढता ही जा रहा है। सड़क यातायात के कानून कडे हुए हैं,उनको सख्ती से लागू करने का प्रयास भी किया जा रहा है,जुर्माने की राशियां भी बढी हैं,लेकिन सडक पर सुरक्षा अब स्वयं सावधानी बरतने पर ज्यादा निर्भर है। उन्होंने कहा कि अधिकांश दुर्घटनाएं यातायात कानून का उल्लंघन करने के फलस्‍वरूप घटती हैं। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का पालन ,स्‍पीड नियंत्रण आदि के माध्‍यम से दुर्घटनाओं को काफी सीमित किया जा सकता है।उन्‍होंने स्टूडेंट से सड़क यातायात नियमों का पालन अपनी अपनी आदत में शामिल करने की अपेक्षा की।


एडी जी ने साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ पर चिंता जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया सहित किसी भी साइबर पलेट फाम्र पर सावधानी सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होने साइबर क्राइम से रेलतेड़ एडीजी आगरा के यू ट्यूब चैनल पर देखने का आवेदन किया।

ए डी जी स्कूल कहा कि सेंट पीटर्स कॉलेज अपनी स्थापना के 175 साल मना रहा है, यह आगरा ही नहीं पूरे उत्तर भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा, स्कूल के साथ सहभागिता कर उसके उद्देश्यों को पूरा करने में  अपना योगदान देने के लिए प्रयासरत है।



 --  दायित्व बोध हमारा लक्ष्य:फादर

सैंट पीटर्स कॉलेज के प्रिंसिपल फादर एंड्रू कोरिया ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा –“ हम शिक्षा देते हैं,कोशिश रहती है कि यहां से पास आउट होकर जाने वाला हर स्टूडेंट दायित्वबोध की समझ से परिपक्व हो। उन्हें खुशी है कि सेंट पीटर्स कॉलेज के मैनजमेंट , स्‍टाफ और स्‍टूडैंस्‍ट्स ने उत्‍कृष्‍टता की परंपरा को स्थापना के 175 वर्षों की दीर्घ अवधि में भी कायम रखा है। इसके लिये मैं अपने सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करता हूं। मैं ए डी जी साहब का शुक्रगुजार हूं जो कि अपनी व्‍यस्‍त ताओं के बावजूद कॉलेज में आने के लिये समय निकाल सके।  चर्चा में रहे बिंदु इस प्रकार है:-

--नागरिक पुलिस सहभागिता  

पुलिस सहभागिता के प्रति सिविल सोसायटी आगरा की हमेशा प्रतिबद्धता रही है और जब भी उपयुक्त अवसर संभव हुआ है इसको प्रभावी बनाये जाने के लिये कोशिश की है। सोसायटी का मानना है कि बच्चे  देश के भावी नागरिक हैं,उनमें जानने और सीखने की अद्भुत क्षमता होती है। लेकिन बौद्धिक दृष्टि से वे बड़ों के समान परिपक्‍व नहीं होते। जिससे उनके कानून न मानने वाले आपराधिक तत्वों के प्रभाव में आने की संभावना अन्‍य आयु वर्ग के व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक रहती है। दरअसल कुछ आपराधिक तत्व तो बच्चों और किशोरों की सहजता का दुरुपयोग करने का अवसर तलाशते रहते हैं।

-- अपरिपक्वता 

अपरपक्‍व किशोर अज्ञानता वश जब कानून अपने हाथ में ले लेते हैं तब अनायास ही जो  अप्रिय स्थितियां बन जाती हैं,वे समाज और परिवारों के लिये अत्यंत जटिलता उत्पन्न कर देती हैं। किशोरों के  स्वच्छंद आचरण और इसके साथ ही अपराधों की ओर प्रवृत्त होने का एक कारण तकनीकी और डिजिटल गैजेट्स का  बढ़ता अनियंत्रित चलन ।

-- सीधा संवाद एक न भूलने वाला अवसर

स्‍कूल शिक्षा के मंदिर है, विधि जानकारों और कानून पालने करवाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों से सीधे संवाद का छोटे से छोटा अवसर बच्‍चो खास कर किशोरों के लिये जीवन पर्यत बनी रहने वाले एक यादगार होती है,जो कई अवसरों पर उन्हें सही गलत आकलन करने में सहायक होती है। जितना जरूरी सिविल सोसायटी के लिये पुलिस को समझना है,लगभग उतना ही जरूरी पुलिस को नागरिकों की जरूरतें और अपेक्षाओं को भी समझना होता है।सभी सभ्रांतो की कोशिश होती है कि शहर में अपराधों का ग्राफ यथा संभव कम रहे।क्‍यों की विकास और प्रगति की आधारभूत जरूरत ही सौ हाद्रतापूर्ण माहौल होता है।बिना इसके समाज की प्रगति के सूचकों में शामिल स्‍कूलों और अन्य शिक्षा कैंपसों से ड्रामा,आर्ट,संस्कृति और खेलों के आयोजन संभव ही नहीं हैं।

-- नशेबाजी एक बड़ी चुनौती

मौजूदा दौर की एक सबसे अहम चुनौती नशेबाजी की है, यह केवल पुलिस या अकेले सिविल सोसायटी के स्तर से संभव नहीं हैं। हमारा अनुभव है,इसके लिए दोनों को नजदीक आना होगा और सहयोग करना होगा। नशेबाजी एक आदत होती है,किसी को भी खासकर किशोरों इससे उबारना संभव है,बशर्त इसके लिये सकारात्मक रुख अपनाया जाये।

-- एक याद जिसे कभी नहीं भूला

सिविल सोसायटी के जनरल सेक्रेटरी श्री अनिल शर्मा ने अपनी 1980 की उन यादों को ताजा किया जब वह स्‍कूल के छात्र थे। इस कार्यक्रम में तत्कालीन डी आई जी श्री कॉल ने सटूडैंटों से कहा था कि 'अगर तुम अपने मां बाप, टीचरों और प्रिंसिपल की नहीं सुनेंगे तो पुलिसवाला आकर समझा जायेगा।' उन्होंने कहा कि अत्‍यंत हल्‍के फुल्‍के अंदाज में कही बात मुझे आज तक याद है।लगता है कि यह आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी की 52 साल (1980) पूर्व थी।जो बच्चे कानून और अनुशासन के साथ रहते है उनका जीवन सुखद रहता है। जब भी व्यक्तिगत या पारिवारिक परेशानी सामने आती है टीचर ,प्रिंसिपल और परिवार या परिचित उससे उबरने में सहयोग करते हैं। किन्तु जब कोई कानून हाथ में ले लेता है तो पुलिस उस तक पहुंच जाती है और अप्रिय स्थितियों का सामना करना होता है।

-- भावी नागरिकों को विकास का अवसर मिले

 नगर निगम के पार्षद डा शिरोमणि सिंह ने कहा कि वह कानून व्यवस्था को अपने लम्बे अनुभवों के आधार पर निकटता से जानते हैं और मानते कि अगर सही दिशा दकये जाने के प्रयास लगातार जारी रखे जा सकें तो बहुत बड़ी संख्या में युवाओं को भटकने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि मार्गदर्शन और अनुभवियों का परामर्श सबसे अहम है। डा.शिरोमणी सिंह ने कहा कि किशोर वय की अपनी समझ और प्राथमिकतायें होती हैं। अगर भावी पीढ़ी को अपने विकास का भरपूर अवसर देने के लिये जरूरी अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध करा सकें,तो यह भी एक बडा कार्य होगा 


 


प्रोग्राम स्कूल असेंबली में सुबह की प्रार्थना से शुरू हुआ, स्कूल के कोयर ने स्वागत गान गाकर स्वागत किया। श्री अनुभाव खंडेलवाल ने संचालन किया। फादर एंड्रयू कोरिया और श्री शिरोमणि ने एडीजी का स्वागत किया।


प्रोग्राम मे श्री ॐ सेठ, श्री रामानंद चौहान, डॉ। समीर कुमार, श्री टोनी , श्री राजीव सक्सेना , श्री अनिल शर्मा, श्री शिरोमणि सिंह , स्कूल के छात्र , टीचर और मैनेजमेंट स्टाफ उपस्थित था। एक घंटे तक चले प्रोग्राम में छात्रों ने प्रश्न पूछ कर ज्ञान वर्धन किया। एडीजी ने इलाहाबाद में हुए प्रादेशिक स्विमिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले  स्कूल के छात्रों को अलंकृत किया। समझो भारत न्यूज उत्तर प्रदेश आगरा से पत्रकार अमीन अहमद की रिपोर्ट

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