लखनऊ : हामिद रोड निकट सिटी स्टेशन स्थित सल्तनत मंजिल में 42 वा सालाना मजलिस ए अजा एवम तरही मुसालमा का आयोजन किया गया। इस साल अपनी विशेषताओं के साथ 7 बजे शब समय की पाबंदी व एहतराम के साथ प्रोग्राम का आगाज तिलावत ए कलाम पाक से हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रोफेसर सैय्यद अली हामिद और श्री सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने किया। सल्तनत मंजिल में श्रद्धालु बड़ी संख्या में मौजूद थें। मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना डाक्टर सैय्यद अरशद जाफरी साहेब, प्रोफ़ेसर लखनऊ यूनिवर्सिटी ने मुसालमे के मिस्र ए तरह "ले के शमशीर ए तबस्सुम अली असगर निकलें" इस शीर्षक फजाएल व मसाएब इमाम ए हुसैन (अ.स) बयान किया। मजलिस में श्रद्धालुओं की संख्या इतनी थी की सल्तनत मंजिल में कदम रखने की जगह नही थी।
मौलाना के आकर्षण संबोधन से लोग अत्याधिक परभवित हुएं। कामयाब मजलिस के बाद मुसाल्मा प्रारंभ हुआ जिसका संचालन देश के प्रसिद्ध नाजिम व शायर जनाब दर्द हल्लीरी ने अंजाम दिया। इस साल के मिस्र ए तरह "ले के शमशीर ऐ तबस्सुम अली असगर,(अ.स) निकलें" इस शीर्षक से पूरे देश के चुने हुए 14 प्रसिद्ध शायरों ने अपना तरही नजराना ए अकीदत बारगाह ए इमामत में पेश किया। अंत में इस कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर सैय्यद अली हामिद और श्री सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने शायर ए एहलेबेत मौलाना दिलकश गाजीपुरी साहेब को "खान बहादुर नवाब सैय्यद हुसैन खान अवार्ड" से नवाजा गया। कार्यक्रम की समाप्ति पर मुसाल्मे के आयोजक ने उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित किया।
(प्रोफ़ेसर सय्यद अली हामिद) (सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट)
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