तकनीकी विकास कार्यशाला में छात्रों ने बनाया पाचन प्रणाली का कार्यरत मॉडल


 वर्तमान युग में समय की आवश्यकता को देखते हुए विद्यार्थियों के लिए वैज्ञानिक तकनीक के विषय में जानकारी प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है।क्योंकि वैज्ञानिक उपकरणों को प्रत्यक्ष बनाकर छात्र आसानी से उसके कार्य एवं महत्व को समझ जाते है। और तकनीकी प्रशिक्षण के द्वारा ही विद्यार्थियों का मानसिक विकास किया जाता है। क्योकि विद्यार्थियों का आज देश के आने वाले कल के लिए अत्यंत

महत्वपूर्ण है। इसलिए विद्यार्थियों के क्रिया कलापों व उन्हे दिए जाने वाले ज्ञान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। इस लिए पढ़ाई के साथ-साथ तकनीकी विकास कार्यशाला का आयोजन विद्यालय के प्रागण में समय समयपर किया जाना अंत्यत आवश्यक है।

जिसमें विद्यार्थी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों के विषय में जानकारी प्राप्त कर अपने ज्ञान में वृद्धि करते रहे। उक्त उद्रगार सेट0 आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल में आयोजित तकनीकी विकास कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर स्कूल के चेयरमैन श्री अरविंद संगल ने व्यक्त किये।हरिद्वार की विज्ञान तकनीकी फाउण्डेशन आफ इड़िया के मैनेजर इंजी0 सचिन की 3 सदस्य टीम इंजी0 विक्रांत छेत्री, इंजी0 ऋषभ और इंजी पीयूष ने कक्षा पाँच के विद्यार्थियों को सनपैक, फोम, प्लास्टिक बोतल, प्लास्टिक पाइप, 3 डी़ पाइप, बी0 पी0 पम्प, और प्लास्टिक टाई की सहायता से मानव पाचन तंत्र का वर्किग माडल बनाकर पाचन तंत्र के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि मानव शरीर में पाचन तंत्र का सर्वप्रथम अंग मुहँ है

जो भोजन ग्रहण कर लार ग्रन्थि के द्वारा अन्न प्रणाली में स्थानातरित करता है। उसके उपरंात अन्न प्रणाली जो कि मानव शरीर की श्वास नली के पास स्थित होती है वो भोजन निगलने के बाद भोजन को पेट तक पहुँचाने का कार्य करती है। पेट मानव शरीर का खोखला अंग है। जो भोजन में एसिड और एंजाइम मिलाने का कार्य करता है। उसके उपरान्त खाना धीरे-धीरे छोटी आंत में जाता है। छोटी आंत भोजन के पोषक तत्वों एवं तरल पदार्थों को अवशोषित कर भोजन को बड़ी आंत में भेजने का कार्य करती है। बड़ी आंत भोजन से जल को अवशोषित कर भोजन के व्यर्थ पदार्थ को अलग करने का कार्य करती है। गुदा पाचन तंत्र का अंतिम भाग है। ये मांसपेशी शरीर से मल का निकास करने का कार्य करती है। विद्यार्थियों ने पाचन तंत्र का वर्किंग मॉडल स्वयं बनाकर एवं इसके कार्य प्रणाली के विषय में जानकारी प्राप्त कर अत्यंत रोमांचकारी अनुभव किया।

उक्त कार्यशाला का संचालन विद्यालय निदेशक श्री भारत संगल के दिशा निर्देशन में किया गया। उन्होने विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये वर्किग माडल की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान समय में आधुनिक स्वचालित उपकरणों के उपयोग की आवश्यकता एवं महत्वता को देखते हुए विद्यार्थियों में तकनीकी कौशल का विकास विद्यार्थी जीवन में अत्यंत आवश्यक है। जिससे कि वो पढ़ाई के साथ-साथ तकनीकी कौशल में भी पारंगत बन एक स्वर्णिम भविष्य के निर्माण की ओर अग्रसर रहे। इस अवसर पर आर0 पी0एस मलिक, हरिओम वत्स, मौं फैजान, महक, वंदना मलिक, सपना चौधरी, निशा शर्मा, सुरक्षा, आचँल धीमान, कविता संगल आदि अध्यापक व अध्यापिकाओं का योगदान सराहनीय रहा।प्र धानाचार्य, सेट0 आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल, शामली

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