लखनऊ : मदर टेरेसा को उनके जन्म दिन पर आज याद कर खिराजे अकीदत पेश किया गया। 26 अगस्त 1910 को इनका जन्म हुआ था। इन्होंने मिशनरी के संत सेंट थिरेस आफ लिजीयुक्स को आदर्श मानते हुए अपना नाम 1931 में टेरेसा रख लिया। नवाबी घराने सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ के रहने वाले रॉयल फैमिली के नवाबजादा सैयद मासूम रज़ा, एडवोकेट का आगे कहना है की यह एक महान महिला थी और 18 साल की उम्र में यह कोलकाता आ गईं थी और अपना पुरा जीवन गरीबों की मदद के लिए समर्पित कर दिया। विशेष रूप से कुष्ठ रोग से पीड़ित गरीब लोगों की सेवा और उनकी मदद की। 2016 में मानव जाति के उत्कृष्ट कामों के लिए उन्हें "संत" की उपाधि से नवाजा गया।
इन्होंने पूरा जीवन दूसरों की सेवा में निछावर कर दिया। जब वो भारत पहली बार आईं तो यहां के लोगों को बेहद प्यार दिया और यहीं अपनी जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया। भारत में इनके जरिए किए गए कामों की जितनी प्रशंशा की जाए कम है। मदर टेरेसा ने 5 सितंबर 1997 को इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। मदर टेरेसा की 100 वीं वर्षगांठ पर Guine Bissau ने मदर टेरेसा पर एक डाक टिकट जारी किया था जिसमें प्रिंसेस ऑफ वेल्स डायना भी उनके साथ हैं। यह खूबसूरत डाक टिकट इंजीनियर हया फातिमा बिटिया नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा के कलैक्शन में मौजूद है और उनकी कलेक्शन की शोभा बढ़ा रहा है।
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