आधुनिक युग में महिलाओं की जागरूकता होना अति आवश्यक : कवियित्री अनिता कुमारी

 


हरियाणा / गुरुग्राम :  हरियाणा राज्य के गुरुग्राम शहर के सोहना निवासी अनिता कुमारी ने महिलाओं की जागरूकता के लिए आधुनिक युग में जागरूकता के लिए विशेष पहल की। उन्होंने कहा कि हमारे देश भारत को आजाद हुए कई वर्ष हो चुके हैं। परंतु क्या हम सभी महिलाएं आजादी का जीवन जी रहे हैं ?भारत देश की   आजादी का दिन  15 अगस्त को हर भारतीय मनाता है। परंतु महिलाएं आजादी का दिवस कब मनाएंगी? संविधान में अधिकारों के विषय में जानकारी प्राप्त की जिससे पता चला कि बहुत से अधिकार पुरुष और महिलाओं को समान रूप से प्राप्त हैं ये अधिकार संविधान तक ही सीमित रह गए हैं ।हम पुस्तकों और ग्रंथों को उठाकर देखते हैं कि महिलाओं को बहुत से अधिकार मिले हुए हैं परंतु क्या यह वास्तव में सत्य है? यह बात भी किताबों तक ही सीमित है ।ग्रंथों में लिखा है (यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता ) यह बात भी किताबों तक ही सीमित रह गई हैं। आज भी महिलाओं को चारदीवारी में कैद रखा जाता है ।महिलाओं को अपनी इच्छा के अनुसार पहनने, खाने ,बाहर जाने ,नौकरी करने आदि की आजादी नहीं है। शहरी क्षेत्रों में तो महिलाओं को कुछ अधिकार तो प्राप्त है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में तो उनकी स्थिति बद से भी बदतर हो गई हैं।  उन्हें एक नौकर के समान समझा जाता हैं। परिवार के सारे काम का बोझ महिला के कंधे पर होता हैं। परंतु वह अपनी मर्जी से खाना भी नहीं बना सकती हैं। जिस प्रकार नौकर मालिक की इच्छा के अनुसार सारे काम करता हैं। उसी प्रकार घर की महिलाओं को भी नौकर के समान परिवार की इच्छा के अनुसार काम करने पड़ते हैं। इतना होने के बाद भी महिला उफ तक नहीं करती। उसकी मर्जी, उसकी इच्छा को परिवार में कोई नहीं पूछता ।बेटा को घर से बाहर जाने में किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती और न हीं कोई समय की सीमा होती हैं। परंतु बेटी को घर से बाहर जाने के लिए परिवार की अनुमति के साथ-साथ समय की पाबंदियों का भी सामना करना पड़ता हैं। भारत पुरुष प्रधान समाज हैं। इसमें पुरुष अपनी इच्छा से देर रात तक घर आ सकता हैं। परंतु महिलाएं नहीं! आवाज उठाने वाली महिलाओं की आवाज को दबा दिया जाता है ।आज भी बहुत सी महिलाएं दहेज प्रथा ,बाल विवाह ,अनमेल विवाह आदि को प्रथाओं का शिकार बन रही हैं ।सुशिक्षित महिलाएं कम दहेज लाने के कारण उन पर हो रहे अत्याचारों का सामना उन्हें करना पड़ रहा है। महिलाएं धरती के समान धैर्यशील हैं ।वह अपना दुख अपने माता-पिता को बताकर उन्हें दुखी नहीं करना चाहती लेकिन आज की महिलाएं पढ़ी-लिखी और सुशिक्षित हैं ।हम सब को जागरूक होना होगा और देश की अन्य महिलाओं को भी जागरूक करना होगा। यदि हम इसी प्रकार नौकरों जैसा व्यवहार सहन करते रहे तो हमारी अहमियत दिन प्रतिदिन खत्म हो जाएगी। इसलिए मैं चाहती हूं कि हर भारतीय नारी अपने अधिकारों का प्रयोग करें । एवं अत्याचारों को सहन ना करें।। यह बात समझो भारत न्यूज़ डिजिटल चैनल नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. के.एल.परमार को हरियाणा राज्य के गुरुरग्राम से कवियित्री अनिता कुमारी ने दूरभाष पर कहीं। श्लोक- आज की शिक्षित महिला की यही पुकार

अत्याचारों को नहीं सहेंगे

आजादी का जीवन हम भी जीयेगे 

पढ़ लिख कर आगे बढ़ेंगे

देश का नाम रोशन हम भी करेंगे।।। हरियाणा / गुरुग्राम : समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. के.एल.परमार की कलम से स्पेशल रिपोर्ट : 9636125006

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