ज़मीन सूखी, आसमान प्यासा, इसे बचाना बेहद जरूरी, खुशहाल जिंदगी जीना है तो पर्यावरण से हाथ मिलाना होगा : नवाबज़ादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट


लखनऊ : ज़मीन सूखी, आसमान प्यासा, इसे बचाना बेहद जरूरी, खुशहाल जिंदगी जीना है तो पर्यावरण से हाथ मिलाना होगा। सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ के नवाबज़ादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने आगे कहा की "वर्ल्ड अर्थ डे" हर साल आज ही के दिन अप्रैल में मनाया जाता है। जमीन को बचाने और ग्लोबल वार्मिंग के सिलसिले में मीटिंगे की जाती है और सेमिनार होते हैं और फिर सब कुछ उसी तरह चलता रहता है जैसा पहले चलता रहता था। कुछ दिनों के बाद हमलोग सब कुछ भूल जाते हैं। नवाबज़ादा सैय्यद मासूम रज़ा ने आगे कहा की अगर हम सही मानो में ज़मीन को बचाना चाहते हैं और ग्लोबल वार्मिग से निपटना चाहते हैं तो हमें वक्त रहते जागना होगा और " वर्ल्ड अर्थ डे" हर रोज मानना होगा। सिर्फ एक दिन मनाने से काम नहीं चलेगा। ज़मीन को बचाने के लिए आज ही के दिन अप्रैल 1970 में "वर्ल्ड अर्थ डे" मनाने की शुरुआत हुई थी। यह बात बिल्कुल सच है है ग्लोबल वार्मिंग से निपटना तब तक मुमकिन नहीं जब तक लोग जागरूक न होंगे, हमें इस बात पर जोर देना होगा की हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएंगे, पानी का गलत इस्तेमाल रोकेंगे, बिजली का गैर जरूरी इस्तेमाल नहीं करेंगे और जंगलों को कटने से बचाएंगे तभी हमें राहत मिल सकती है और हम पर्यावरण के सख्त नताएज से बच सकते हैं। जमीन बचाना है तो हर दिन "अर्थ डे" मनाना होगा। मोबाइल : 9450657131

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