कैराना। गौशाला भवन कैराना में श्री राम लीला महोत्सव का आयोजन बड़ी ही धूमधाम से किया जा रहा है इसमें रामलीला महोत्सव के तीसरे दिन श्रवण लीला का मंचन किया गया श्री राम लीला महोत्सव के तीसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ कमेटी के अध्यक्ष श्री अतुल कुमार गर्ग द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया जिसके उपरांत दिखाया गया कि महाराजा दशरथ अपने मंत्री सुमंत और गुरु वशिष्ट के साथ अपने महल में बैठे हैं वहीं उसी दौरान श्रवण कुमार महाराजा दशरथ से मिलने के लिए आता है जब गुरु वशिष्ट उन्हें बताते हैं कि तुम्हारे माता पिता जन्म से अंधे नहीं हैं बल्कि तुम्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें अंधा होना पड़ा था तो श्रवण कुमार बेहद परेशान होते हैं और अपने माता पिता के आंखों की रोशनी वापस आने का उपाय गुरु वशिष्ट से पूछते हैं तब गुरु वशिष्ठ उन्हें बताते हैं कि यदि तुम अपने माता पिता को चार धाम की यात्रा कराओगे तो उनकी आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी l श्रवण कुमार अपने माता पिता की चार धाम यात्रा कराने के लिए तैयार हो जाते हैं जब रात राजा दशरथ यह पूछते हैं कि आप अपने बूढ़े और अंधे मां बाप को चार धाम यात्रा कैसे कराओगे तो वह बताते हैं कि मैं उन्हें कावड़ में बैठाकर अपने कंधे पर चार धाम यात्रा कराने उपरांत श्रवण कुमार अपने बूढ़े मां बाप को काँधे पर कावड़ में बैठा कर चार धाम की यात्रा कराते हैं lइसी दौरान श्रवण कुमार के माता पिता को प्यास लगती है
तो वह उन्हें पेड़ के नीचे बैठाकर अपने माता पिता के लिए सरयू नदी से जल लेने के लिए जाता है उसी दौरान अयोध्या के राजा दशरथ जो शिकार करने के लिए वनों में निकलते हैं वह श्रवण कुमार को जंगली जानवर समझकर तीर मार देते हैं जब महाराजा दशरथ को पता लगता है कि मैंने किसी जानवर को तीर नहीं मारा बल्कि बूढ़े मां-बाप का सहारा श्रवण कुमार को तीर मारा है तो वह बेहद परेशान होते हैं श्रवण कुमार से उसकी अंतिम इच्छा पूछते हैं श्रवण कुमार कहता है कि आप केवल इतना कर दे कि मेरे बूढ़े मां बाप को प्यास लगी है आप उन्हें पानी पिला दे और इसी दौरान श्रवण कुमार अपने दम तोड़ देता है श्रवण कुमार के मां बाप के पास महाराजा दशरथ पानी लेकर पहुंचते हैं और उन्हें सारा वृतांत बताते हैं तो श्रवण के मां-बाप बेहद तड़पते हैं और दशरथ से कहते हैं कि तुम मेरे बेटे के पास हमें ले चलो और दशरथ को श्राप देते हैं कि इस प्रकार पुत्र के वियोग में तड़प तड़प कर आज हमने अपनी जान दी है उसी प्रकार तुम भी पुत्र के वियोग में तड़प तड़प कर मरोगे उसके उपरांत अगले दर्शय में दिखाया गया कि महाराजा दशरथ अपने महल में बैठे होते हैं और बेहद चिंता में होते हैं कि मेरे तीन-तीन रानियां होने के बावजूद भी आज तक मेरी वंश वृद्धि के लिए एक भी पुत्र नहीं हुआ है और कहते हैं कि शायद यही पर सूर्यवंश का अंत हो जाएगा और बेहद परेशान होते हैं जिस पर मंत्री सुमंत और गुरु वशिष्ठ उन्हें याद दिलाते हैं कि यदि श्रृंगी ऋषि से हवन कराया जाएगा तो निश्चित रूप से पुत्र प्राप्ति होगी जिस पर महाराजा दशरथ अप्सराओं को श्रृंगी ऋषि को बुलाने के लिए भेजते हैं जब श्रृंगी ऋषि अयोध्या के महाराजा दशरथ को अयोध्या में हवन कराते हैं तभी कौशल्या जी को सपने में विष्णु भगवान दिखाई देते हैं और पुत्र के रूप में आने के बारे में सारा वृतांत बताते हैं l श्रवण कुमार का अभिनय सतीश प्रजापत दशरथ का अभिनय रामनिवास सैनी गुरु वशिष्ठ का अभिनय प्रमोद कुमार गोयल सुमंत का अभिनय ऋषि पाल शेरवाल श्रृंगी ऋषि का अभिनय अरविंद मित्तल अंधे मां बाप का अभिनय सागर मित्तल और सोनू कश्यप ने किया l बहुत ही सुंदर सीनरी सीनरी मास्टर पदम सेन नामदेव और सुनील कुमार टिल्लू ने लगाई l इस दौरान सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा वहीं नगर पालिका परिषद के द्वारा विशेष सफाई अभियान चलाया गया कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से अभिषेक गोयल मनोज मित्तल पंकज सिंघल संदीप वर्मा राजेश नामदेव मोहनलाल आर्य विजय नारायण तायल आदेश गर्ग डाक्टर रामकुमार गुप्ता राकेस सप्रेटा राहुल सुशील सिंघल आशु वीरेन्द्र वसिष्ट राकेश प्रजापति पुनीत गोयल अमर भारद्वाज अंकित जिंदल अमन गोयल प्रभात गोयल गोलू नामदेव रोहित नामदेव डिम्पल अग्रवाल अंकित नामदेव शिवम सनी आदि मौजूद रहे।
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