रावण और सीता का हुआ जन्म ,वेदवती ने दिया रावण को श्राप


कैराना ।गत रात्रि गौशाला भवन कैराना में श्री रामलीला महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है l श्री रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ व्यापारी नेता मुकेश चंद जैन सर्राफ ने दीप प्रज्वलित कर किया जिसमें कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले रावण कुंभकरण और विभीषण जन्म की लीला का मंचन किया गया इसके उपरांत दिखाया गया कि कुशध्वज ऋषि की कन्या वेद वती जंगल में भ्रमण कर रही होती है और अपने देवाधिदेव भगवान विष्णु के ध्यान में मग्न हो रही है

इसी दौरान वहां पर घूमता घूमता लंका का राजा महाराजा रावण वहां पहुंच जाते हैं जो वेदवती को देखकर मन ही मन बहुत खुश होते हैं और उसे अलग अलग तरीके से अपनी तरफ लुभाने का प्रयास करता है परंतु वेदवती अपनी जिद पर पड़ी रहती है जिस पर महाराजा लंकेश रावण क्रोधित होकर उसके शरीर को स्पर्श कर देते हैं जिससे क्रोधित होकर वेदवती है बेहद परेशान होती है और कहती है

कि आज तूने मेरे शरीर को छुआ है अब यह मेरे काबिल नहीं रहा है और मैं तुझे श्राप देती हूं कि मैं अभी सती का रूप लेकर समाधि लेती हूं और अगले जन्म ने जनकपुर से जन्म लेकर तेरे नाश का कारण बनूंगी l

जिस पर रावण बेहद घबरा जाता है वहीं दूसरी लंका के महाराजा रावण अपने मामा मारीच के साथ अपने पुष्पक विमान पर सवार होकर कैलाश पर्वत की ओर गुजर रहे होते हैं जब कैलाश पर्वत के पास उनका पुष्पक विमान पहुंचता है तो वह यका यक रुक जाता है जब रावण पुष्पक विमान रुकने का कारण मारीच  से पूछता है तो वह बताता है कि यह भगवान शंकर का निवास स्थान है

इसके ऊपर से पक्षी भी नहीं गुजरते हैं वहीं दूसरी ओर नंदीगड भी महाराजा रावण को समझाने का प्रयास करते हैं परंतु क्रोधित रावण अपनी अहंकार के कारण वहीं से गुजरने की कोशिश करता है और कैलाश पर्वत को उठाकर फेंकने की कोशिश करता है

परंतु उससे कैलाश पर्वत हिल नहीं पाता है तो वह बेहद हताश होकर भगवान शंकर से प्रार्थना करता है और अपने रास्ते की मांग करता है जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर अपने भक्त रावण को रास्ता दे देते हैं और रावण को चंद्रहास नामक तलवार देकर यह कहते हैं

कि जिस दिन तू इस तलवार की पूजा करना भूल जाएगा वही दिन तेरे जीवन का अंतिम दिन होगा l अगले दर्शय में महाराजा रावण अपने दरबार में अपने पुत्र मेघनाथ को आदेश देता है कि आप सभी देवताओं ऋषि मुनि आदि को गिरफ्तार कर कर उन्हें मुनासिब सजा दो वही मेघनाथ ऋषि मुनियों से कर वसूल कर एक घड़े में भरकर ले आता है

और काल को भी बंदी बना लेता है जब रावण को पता लगता है कि मेघनाथ एक घड़े में ऋषि यों का खून लेकर आया है तो रावण उसे आदेश देता है कि इस घड़े को तुरंत दबा दो वहीं दूसरी ओर राजा जनक की जनकपुरी में बहुत अकाल पड़ जाता है जिस पर ऋषि-मुनियों ने हल चलाने की आज्ञा देते हैं

हल चलाने के दौरान ही एक घड़े के अंदर से एक कन्या का जन्म होता है जिसका नाम सीता जी रखा जाता है l कैलाश पर्वत व दरबार रावण का सुंदर दृश्य सीनरी मास्टर रोहित नामदेव और पदम सेन नामदेव ने प्रस्तुत किया रावण का अभिनय शगुन मित्तल वेदवती का अभिनय शिवम गोयल मारीच का अभिनय गोलू नामदेव  शंकर भगवान का अविनय सोनू कश्यप नंदी गण का अभिनय देव गर्ग मेघनाथ का अभिनय डिंपल अग्रवाल शुक्र और शनिदेव का अभिनय राकेश गर्ग ओर आशु गर्ग अप्सराओं का अभिनय सागर मित्तल सनी और धीरू ने किया

वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा नगर पालिका परिषद कैराना की ओर से विशेष सफाई अभियान कराते हुए मच्छरों की फागिंग कराई गई कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से संजू वर्मा अभिषेक गोयल अंकित जिंदल राजेश नामदेव राकेश वर्मा विपुल जैन अतुल गर्ग सुशील सिंगल अंकुर वीरेंद्र वशिष्ठ डाक्टर रामकुमार गुप्ता आलोक गर्ग पंकज सिंघल राजेश वरुण कौशिक पुनीत गोयल सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट आदि मौजूद रहे।

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