16 साल बाद जान लेवा हमले के दो मुजरिमो को 10-10 साल की सजा एंव पांच पांच हज़ार रुपये के अर्थदण्ड की सज़ा। अर्थदण्ड ने भुगतने पर एक एक वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई।


कैराना। 16 साल पहले चचेरे भाई को गोली मार कर गंभीर रूप से घायल करने के मामले में दोष सिद्ध पाये जाने पर अपर जिला सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार ने दो मुजरिमो को 10-10 साल कठोर करावास व 5-5 हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई। अर्थदण्ड अदा नही करने पर 1-1 वर्ष को अतिरिक्त करावास भुगतना होगा।सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सतेन्द्र धीरयान ने बताया कि 2 नवम्बर 2005 की शाम करीब 4 बजे थाना झिंझाना के गांव लावा दाउदपुर निवासी हेम सिंह को तमंचो से गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था तथा जान से मारने की धमकी दी थी। 3 नवम्बर को घायल हेम सिंह के भाई ईश्वर सिंह ने थाना झिंझाना पर अपने चचेरे भाई महक सिंह व सुरेश निवासी लावा दाउदपुर तथा एक अज्ञात के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने दोनो मुजरिमो को गिरफतार करके कोर्ट में पेश कर दिया था। गिरफतारी के समय पुलिस ने महक सिंह से घटना में प्रयुक्त तमंचा बरामद किया था जिस कारण उसके उपर आईपीसी की धारा 25 आर्म्स एक्ट का इजाफा किया गया था। करीब साढे 4 साल जेल में रहने के बाद दोनो मुजरिम जमानत पर बाहर आ गये थे।

मुकदमें की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की और से 9 गवाह तथा बचाव पक्ष की और से 2 गवाह पेश किए गये थे। बुधवार को दोनो पक्षो की दलील सुनने तथा पत्रावलियो का अवलोकन करने के बाद अपर जिला सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार ने मुजरिम महक सिंह व सुरेश को जान लेवा हमले की धारा 307 को दोषी मानते हुए 10-10 साल कठोर करावास व 5-5 हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई। धमकी देने की धारा 506 में 2-2 साल की सजा तथा महक सिंह से तंमचा बरामद होने की धारा 25 आर्म्स एक्ट में दोष बरी किया गया। अर्थदण्ड अदा नही करने पर 1-1 साल का अतिरिक्त करावास भुगतना होगा तथा दोनो सजाऐ साथ साथ चलेगी। इसके अलावा जेल मे बितायी साढे साल की अवधि को सजा में समायोजित किया जायेगा।

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