एक कोरे पन्ने को खास बनाती हो तुम!! ( कविता )


मेरे हर दर्द को बड़ी खूबसूरती से तरासती हो तुम

कोई नज़्म, कोई ग़ज़ल, कोई शायरी बन जाती हो तुम!!


कागज़ की प्रेमिका हो तुम

उसी के लिए जीती हो

उसी में मिट जाती हो तुम 

उसका वजूद है तुमसे

एक कोरे पन्ने को खास बनाती हो तुम!!


एक छोटी सी बात को सिलसिला बना दो

लफ़्ज़ों को तराशती हो तुम

सदियों से हो इस दुनिया में

कागज ने खुदको बदला हो भले

पर आज भी वैसी ही नज़र आती हो तुम!!


हड़प्पा की संस्कृति लिख दी

मेसोपोटामिया को अमर किया

रोम की कहानियां लिख दीं

चीन की सभ्यता लिख दी!!


तुमने लिखे महाकाव्य

तो कभी इतिहास लिख दिया

कलिंग का युद्ध भी लिखा तुमने 

अहिंसा परमो धर्म लिख दिया!!


भूगोल गोल ही रहता बिन तुम्हारे

तुमने उसे रंगों से रंग दिया

बस अपनी ताकत से पूरे विश्व को

अपने पन्ने को गिफ्ट कर दिया!!


राँझे के दर्द को उकेरा 

देवदास के ग़म को लिख दिया

एक आम सी पूनम को पंख देकर

*पाखी* कर दिया!!


ऐ कलम तुझे मैं कैसे लिखूंँ?

स्याही से सजकर तुमने तो अफसाने हैं गढ़े

आफताब सी रोशन तुम महताब का नूर हो

क्या लिखूंँ मैं तुम पर??

तुम खुद में कोहिनूर हो...!!!


कवियत्री -

पूनम भास्कर "पाखी"

PCS ऑफिसर

डिप्टी कलेक्टर यूपी


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