सरकारी नौकरी के नाम पर लाखों की ठगी कर रहा नोएडा स्थित फ़र्ज़ी संस्थान


आशू शुक्ला; नोएडा, 25 मार्च: नौकरी दिलाने के नाम पर छात्रों से वसूली करने की शिकायत पर भी पुलिस अपनी ड्यूटी से पीछे हटती नज़र आ रही है। सरकार के नाम पर फ़र्ज़ी स्कीम चला रहे नोएडा सेक्टर- 64 में स्तिथ संस्थान तकरीबन 25-30 के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे। आपको बता दें कि यह फ़र्ज़ी संस्थान 60 लाख से ज्यादा फ़र्ज़ी सरकारी नौकरी के हेतु आयुष्मान भारत रोज़गार योजना के नाम पर फ़र्ज़ी ट्रेनिंग व फ़र्ज़ी नियुक्ति पत्र देकर फर्ज़ीवाड़ा चला रहा है। 

ऐसे में जब जिला कन्नौज निवासी श्वेता सिंह, 32 इस फर्ज़ीवाड़ा की शिकार हुई और जब उन्हें संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है तो तुरंत वह नोएडा आयीं और आकर जांच पड़ताल करी तो वह सच में ही फ़र्ज़ी निकला, उन्होंने तुरंत सेक्टर के थाने में जाकर FIR करवाई। पुलिस से उम्मीद लगाए रोज़ थाने के चक्कर लगाते उन्होंने अपनी बात सरकार तक पहुचाने के लिए मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने बताया कि 2019 में


आयुष्मान भारत योग एवं खेल कूद प्रशिक्षण संस्थान के नाम से ट्रस्ट खोल कर समस्त उत्तर प्रदेश के लिए 2276 योग व स्पोर्ट्स अध्यापकों की भर्ती निकाल कर लाखों की ठगी की। तत्पश्चात 2021 में दोबारा 1147 की भर्ती निकाली। इस भर्ती का माध्यम एक दम सरकारी नौकरी जैसा दिखाई दे इसलिए ये संस्थान भी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से 20-25 बच्चों के साथ लाखों की ठगी की और फिर लाखों पचा के नौकरी देने से मुकर गए। 

श्वेता सिंह ने बताया कि इस संस्थान का नाम आयुष्मान भारत योग एवं खेल कूद प्रशिक्षण है, और यह नोएडा सेक्टर-66 में स्तिथ है। 25 मार्च, 2021 को श्वेता सिंह के साथ और भी इस ठगी का शिकार हुए सभी ने मिलकर FIR दर्ज करवाई और अपनी आप बीती एसीपी को बताई तो


पुलिस कर्मियों ने फर्ज़ीवाड़ा चला रहे और अपने आप को संस्थान का संस्थापक बताने वाले तीन लोगों को पूछताछ के हेतु हिरासत में लिया और फिर छोड़ दिया। बता दें कि फ़र्ज़ी संस्थान चलाने वालों के नाम हैं दामोदर शर्मा (अध्यक्ष), संजय चौधरी(ट्रस्टी), विपुल रास्तोगी

(संस्थापक), साद अब्बासी(अध्यक्ष) और विनीत गुप्ता( फ़र्ज़ी संस्थान चलाने का तरकीब देने वाला मास्टरमाइंड) जो कि फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर फ़र्ज़ी नियुक्ति पत्र देता था। 

पीड़ितों का कहना है कि 25 मार्च, 2021 को शिकायत दर्ज कराने के बाद फ़र्ज़ी संस्थान चलाने वालों से पुलिस ने पूछताछ तो कि लेकिन फर्ज़ीवाड़ा का बिना कोई जांच पड़ताल के उन्हें छोड़ दिया गया। शिकायत के बाद से ही वह संस्थान बंद पड़ा है। यहां तक कि जिस


बिल्डिंग में यह फ़र्ज़ी कार्यालय है, उस बिल्डिंग के मालिक को भी संदेह है कि यहाँ फ़र्ज़ी कार्य होता है। जो बच्चे यहाँ कार्य कर रहे थे उन्हें भी न ही तनख्वाह दी और किसी को भी कार्यालय के अंदर हो रहे फर्जी कार्य की कुछ भी जानकारी देने से डरा धमका के मना किया गया। पीड़ितों ने बताया कि वह बहुत उम्मीद के साथ पुलिस के पास गए थे लेकिन वहां से केवल रोज़ाना निराशा के ही साथ वापस घर आते। 

आपको बता दें कि सभी पीड़ित उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों से हैं और वह यहाँ थाने के पास इस उम्मीद में होटेल व पीजी लेकर रह रहे हैं


कि उनके फ़र्ज़ी संस्थान द्वारा ठगे पैसे वापस मिलेंगे और ऐसे घटिया कार्य करने वाले इस फर्ज़ीवाड़ा चला रहे लोगों को सज़ा मिले लेकिन पुलिस

की तरफ से कोई कार्यवाही न करने हेतु जब वह अपनी उम्मीद खोने लगे तो उन्होंने अपनी आवाज़ उठाने का फैसला किया और मीडिया तक

यह ख़बर पहुँचाई। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों मौन है देश की जनता की मदद करने वाले पुलिस कर्मी? क्यों ऐसे सरकार के नाम पर फर्ज़ीवाड़ा चला रहे लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही ? 

क्या पुलिस अपनी चुप्पी तोड़ कर आगे की कार्यवाही शुरू करेगी या ठगिओं के पास फसा पीड़ितों का पैसा वही धरा का धरा रह जायेगा? 


नोएडा से संवाददाता आशू शुक्ला की रिपोर्ट

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