आपको याद हो गई जहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में काफी सक्रियता बनी हुई थी या यह कहो कि हर एक की जुबान पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आंकड़े और चुनाव के विषय में हर बात होती रहती थी वही जनपद शामली की ग्राम पंचायत टिटोली के प्रधान पद उम्मीदवार पप्पू राय ने जनपद शामली की दूसरे नंबर की बड़ी जीत हासिल की उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी सतेंदर पाल को 823 वोटों से हराकर जीत हासिल की आपको बता दें कि इससे इससे पूर्व के दो चुनाव में पप्पू राज चुनाव हार गए थे वहीं इस बार भी गांव की सभी तिकड़म बाज वर्तमान प्रधान दो पूर्व प्रधान दो पूर्व भावी प्रधान प्रत्यासी और गांव के दो महान दिग्गज जो मानते हैं कि गांव की रांची उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है वही एक अपने आप को चाणक्य कहने वाले जिनका दावा था कि पिछली 2 योजनाओं में जिसे उन्होंने चाहा उसी को प्रधान बना दिया ऐसे दिग्गजों के होने के बावजूद भी जनपद में दूसरे नंबर की बड़ी हार क्षेत्र में कहिए या जनपद में के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है जो कैंडिडेट पिछले चुनाव से हार रहा हूं इस बार इतनी बड़ी जीत दर्ज करना वाक्य ही चर्चा का विषय बन जाता है अब विपक्षी कैंडिडेट हो उसके सभी सभी खुद को दिक्कत जाने वाले समर्थक अब ग्रामीणों के सामने नजर से नजर मिलाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं जहां चुनाव से पूर्व बड़े-बड़े दावे कर रहे थे यहां तक कि पूरे गांव में खरीद-फरोख्त के दावे कर रहे थे कभी चुनाव को जाट बना मजदूर बना रहे थे कभी गांव को बिकाऊ बता रहे थे कभी राजनीतिक धूरी को अपने इधर घूमता दर्शा रहे थेआप इतनी बड़ी हार से उनकी बौखलाहट स्वभाविक है लेकिन अब देखना यह होगा कि यह राज्य की दिक्कत किस तरीके से अपनी हार को पचा पाते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन ग्रामीण जनता ने दिखा दिया कि जनता किसी की बाप की रियासत नहीं कि जिसको जब चाहे जब मूड दिया जाए जो उनको अच्छा लगता है उसी को यह वोट देते जिस को दो बार नकारा इस बार उसको अपना से मोर बनाना बाकी है जनता के मोड़ पर डिपेंड करने वाली बात को सच साबित करता है जनता जनार्दन जिसको जब चाहे तब राजा जब जिसको चाहे रंग बना दिया चाणक्य कहे जाने वाले या अपने आपको दिक्कत कहने वाले पूरे गांव को खरीद कर देने वाले जहां तीनों पूर्व प्रधानों ने एड़ी चोटी का जोर लगायावहीं अन्य सपोर्टर भी पीछे नहीं रहे लेकिन जनता ने इन सभी को नकारते हुए दो बार कि अपने नकारे हुए कैंडिडेट पप्पू राज को इस तरह की जीत हासिल की किस जनपद मेंदूसरे नंबर की बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं वही सबसे बड़ी बात यह रही कि गांव के किसी भी एक बूथ पर विपक्षी कैंडिडेट नहीं जीत पाया प्रत्येक वार्ड में मिली हार भी चर्चा का विषय है भाई हारे हुए कैंडिडेट ने धन धन बल हो या गुंडागर्दी इतिहास या फिर कोई भी ऐसा फैसला नहीं जो ना आजमाया हो लेकिन जनता के फैसले के सामने सभी पैतृक नाकाम साबित हुए ऐसी जीत से साफ प्रतीत होता है कि जनता जनार्दन के सामने कोई भी पेत्रण नहीं चलता ना ही कोई जान पाता की जनता का मूड चाहे जनता कब किसको राजा बना दिया और किसको रंक किसको पता ही नहीं चलता जनता का मूड ही डिपेंड करता है कि कौन क्या होगा कौन हारेगा कौन जीतेगा ज्यादा बड़ी बात करने वाला कभी जनता के बीच में छोटा यही हुआ इस बार कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में केवल इसी गांव में नहीं जनपद की कहीं भी देख लीजिए अधिकतर सीटों पर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए लेकिन सबसे बड़ा चौंकाने वाले आंकड़े सी ग्राम पंचायत में सामने आए जहां विपक्षी कैंडिडेट सतेंदर दावे कर रहा था कि इस कैंडिडेट से हारना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा यदि हमेशा हारते हैं तो यह मानो हम गांव में रहने के लायक भी नहीं इसी बात को ग्रामीणों ने गंभीरता से लिया और औकात दिखाने का निर्णय लिया और इसी का नतीजा रहा कि जनपद की दूसरे बड़े नंबर की हार हुई एक कहावत है ना ना जाने चुनाव की दीवार कब किस करवट बैठ जाए कुछ पता नहीं लगता यही एक वाक्य रहा जो इतनी बड़ी हार का कारण बना इसलिए जो बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि जो बोलो सोच समझकर बोलो ना जाने कब क्या हो जाए यह इस बार के चुनाव नतीजे से साफ जाहिर होता है
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