ऐसा भी होता है अजब गजब केवल अतुल्य भारत में।
दोस्तो कल महिला दिवस है।8 मार्च यानि कि महिलाओं के लिए बेहद खूबसूरत पल कुछ कही कुछ अनसुनी।
दोस्तो ये सच्चाई है एक ऐसी महिला की जो अपने पति को पत्र नहीं लिख पायी तो उसने ठान ली कुछ करने की।
जी हां ये सच्चाई है जौनपुर की एक महिला की जब वह अपने पति को पत्र नहीं लिख पायी तो ठान ली 2500 महिलाओं को साक्षर बनाने की।मात्र 19 दिनों में खुद को भी साक्षर बना लिया और साथ
ही साथ 2500 महिलाओं को भी साक्षर बना दिया।इतना ही नहीं उन्हें आत्मरक्षा के तरीक़े भी शिखा रही हैं।ये सच्चाई है मुन्नी बेगम का जो मूलरूप से जौनपुर की रहने वाली हैं।कहते है पंख से कुछ
नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।ये कारनामा कर दिखाया है महाराजगंज की मुन्नी बेगम ने।उनकी शादी 12 साल की उम्र में ही हो गई थी।इसी कारण वह पढा़ई नहीं कर सकीं।उनके पति बाहर रहते थे
काम के सिलसिले में वह उन्हें पत्र नहीं लिख पाती थीं इसका उन्हें अफसोस था।लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मात्र 19 दिनों में उन्हें लिखना पढ़ना शुरू कर दिया।जिसकी वजह से आज वह गांव गांव
घूमकर ऐसी महिलाओं को शिक्षित करने मेंपिछले 25.वर्षों से लगातार शिक्षित करने में जुटी हुई है।जिसका नतीजा ये हुआ कि आज 2500 महिलाओं को शिक्षित करने के साथ ही साथ आत्मरक्षा
का हुनर भी शिखा रही हैं।उनके इस बुलंद हौसले के लिए साल 2018 मे उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू जी ने उनके इस कार्य के लिए सम्मानित भी किया।
आज मुन्नी बेगम को पांच भाषाओं की जानकारी है।उन्होंने 1997 हाईस्कूल की परीक्षा पास की, और 2017 में अपने बेटे के साथ पोस्ट ग्रेजुएट कर चुकी हैं।
सन् 2000 मे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ा और उसमें जीत भी हासिल की।जबकि विरोधियों ने पैसा पानी की तरह से बहाया फिर भी मुन्नी बेगम को पराजित नहीं कर सके।आज वह लड़कियों को
जुडो कराटे का प्रशिक्षण भी देती हैं।ऐसी महान महिला को सारा गांव सम्मान देता है।हम भी उन्हें तहेदिल से महिला दिवस पर सलूट करते हैं।
संवाददाता
सनी डेविड सिंह
दोस्तो कल महिला दिवस है।8 मार्च यानि कि महिलाओं के लिए बेहद खूबसूरत पल कुछ कही कुछ अनसुनी।
दोस्तो ये सच्चाई है एक ऐसी महिला की जो अपने पति को पत्र नहीं लिख पायी तो उसने ठान ली कुछ करने की।
जी हां ये सच्चाई है जौनपुर की एक महिला की जब वह अपने पति को पत्र नहीं लिख पायी तो ठान ली 2500 महिलाओं को साक्षर बनाने की।मात्र 19 दिनों में खुद को भी साक्षर बना लिया और साथ
ही साथ 2500 महिलाओं को भी साक्षर बना दिया।इतना ही नहीं उन्हें आत्मरक्षा के तरीक़े भी शिखा रही हैं।ये सच्चाई है मुन्नी बेगम का जो मूलरूप से जौनपुर की रहने वाली हैं।कहते है पंख से कुछ
नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।ये कारनामा कर दिखाया है महाराजगंज की मुन्नी बेगम ने।उनकी शादी 12 साल की उम्र में ही हो गई थी।इसी कारण वह पढा़ई नहीं कर सकीं।उनके पति बाहर रहते थे
काम के सिलसिले में वह उन्हें पत्र नहीं लिख पाती थीं इसका उन्हें अफसोस था।लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मात्र 19 दिनों में उन्हें लिखना पढ़ना शुरू कर दिया।जिसकी वजह से आज वह गांव गांव
घूमकर ऐसी महिलाओं को शिक्षित करने मेंपिछले 25.वर्षों से लगातार शिक्षित करने में जुटी हुई है।जिसका नतीजा ये हुआ कि आज 2500 महिलाओं को शिक्षित करने के साथ ही साथ आत्मरक्षा
का हुनर भी शिखा रही हैं।उनके इस बुलंद हौसले के लिए साल 2018 मे उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू जी ने उनके इस कार्य के लिए सम्मानित भी किया।
आज मुन्नी बेगम को पांच भाषाओं की जानकारी है।उन्होंने 1997 हाईस्कूल की परीक्षा पास की, और 2017 में अपने बेटे के साथ पोस्ट ग्रेजुएट कर चुकी हैं।
सन् 2000 मे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ा और उसमें जीत भी हासिल की।जबकि विरोधियों ने पैसा पानी की तरह से बहाया फिर भी मुन्नी बेगम को पराजित नहीं कर सके।आज वह लड़कियों को
जुडो कराटे का प्रशिक्षण भी देती हैं।ऐसी महान महिला को सारा गांव सम्मान देता है।हम भी उन्हें तहेदिल से महिला दिवस पर सलूट करते हैं।
संवाददाता
सनी डेविड सिंह
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