नागरिकता संशोधन बिल- अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है

मानवता ईश्वर के लिए कल्याण संस्था परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल हमीद  ने नागरिकता संशोधन बिल का एवं एन आर सी का विरोध किया है हामिद ने कहा है कि किसी जाति विशेष के नाम पर भेदभाव करना संविधान के खिलाफ है संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है इसके अनुसार कानून के सामने सब को बराबर का अधिकार है।

सब बराबर है और जाति धर्म के नाम पर भेदभाव करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है इसलिए किसी भी गैर मुस्लिम और मुस्लिम शरणार्थियों में भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जाति विशेष के आधार पर किसी भी गैर मुस्लिम को नागरिकता देना और केवल मुस्लिम होने की वजह से नागरिकता से बंचित रखना   संविधान के खिलाफ है इस फैसले से संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है इसमें हर व्यक्ति को जीने का अधिकार होता है


 किसी को जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं रखा जा सकता
 हमारे देश का संविधान जाति धर्म के नाम पर नहीं चलता हमारे देश का संविधान इंसाफ पर चलता है माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने एक बात बोली है केबल मुस्लिम धर्म को छोड़ कर सभी धर्म हिन्दू ,सिख,इसाई, बौद्ध,जैन ,सब को नगरिकता देने की बात कही है जिससे साफ होता हैं की 

एनआरसी बिल एवं नागरिकता संशोधन बिल मुस्लिम को छोड़कर और सबको एनआरसी में एवं नागरिकता संशोधन बिल में जगा दी जाएगी यह बिल्कुल संविधान के खिलाफ है हम इसे नहीं मानते भारत के संविधान के अनुसार सभी को बराबरी का अधिकार है किसी को भी जाति विशेष के आधार पर उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता अगर जाति विशेष के आधार पर किसी को वंचित किया जा रहा है तो वह संविधान को खत्म करना है हिटलर शाही को कायम करना है और देश इस फैसले से कमजोर होगा ना कि मजबूत और देश का मुसलमान देश को कभी भी कमजोर नहीं होने देका हम संविधान के खिलाफ इस फैसले का पुरजोर विरोध करते हैं।

*नागरितकता संशोधन विधेयक (CAB):*
 मैं मुस्लिम शरणार्थी या मुस्लिम घुसपैठियों को नागरितकता देने का पक्षधर नहीं हूँ, न ही घुसपैठियों के लिए कोई हमदर्दी रखता हूँ। लेकिन चिंतित जरूर हूँ कि CAB कानून के आड़े कहीं भारतीय मुस्लिम अपने ही देश में शरणार्थी न बन जाएं !

*इसलिए मन में CAB से संबंधित कुछ सवाल है:*


 1) सरकार के पास क्या सबूत है कि मुस्लिम छोड़कर सभी घुसपैठी लोग केवल धार्मिक कारण से ही भारत में आये हैं ? क्या मुस्लिम शासित या बौद्ध शासित देशों में से कोई मुस्लिम प्रताड़ित होकर भारत नहीं आ सकते हैं?

 2) अगर मुस्लिम छोड़कर सभी शरणार्थी और घुसपैठी को नागरितकता देंगे तो NRC किसके लिए लागू होगा ? केवल मुस्लिमों के लिए ?

 3) क्या इस बिल के माध्यम से केवल मुसलमानों से भेदभाव करके संविधान में मिला सर्वधर्म समान अधिकार का हनन नहीं होगा ?

 4) अगर देश में असम जैसा अपारदर्शी NRC लागू होगा तो क्या केवल भारतीय मुस्लिम अपने ही देश में शरणार्थी बनने को मजबूर नहीं होंगे ?

 5) हमारे पड़ोसी मुस्लिम देशों में रह रहें 6-7 करोड़ हिंदुओं को भारत में आने का खुला निमंत्रण नहीं दे रहें हैं ?

7) क्या अप्रत्यक्ष रूप से पड़ोसी मुस्लिम देशों को मजबूर नहीं करेंगे कि वेलोग वहाँ के हिंदुओं के साथ अन्याय वर्ताव करें ?

 8) हमारे पड़ोस में कई बौद्ध शासित देश है, फिर भी बौद्ध शरणार्थियों को क्यों भारत में नागरितकता देंगे? 9) उस बिल से देश क्या का भला होगा ? कहीं यह केवल कट्टर हिंदुओं को लुभाकर वोट पानेके लिए तो नहीं

 10) क्या इस बिल के बाद भारतीय मुस्लिम समुदाय के मनमें असुरक्षा की भावना नहीं पैदा होगा ?

 11) क्या सरकार का काम है कि लोगों को एकजुट करने के बजाय धर्म के आधार पे बाँटकर देश में अराजकता का माहौल पैदा करना ?

 12) विश्व में सबसे उन्नत और शक्तिशाली बड़ी आबादी ईसाइयों की है, जो पश्चिमी देशों के मालिक भी है, फिर उनको भारत में नागरितकता देने के पीछे क्या तर्क है ? कहीं हम पाकिस्तान का बदला भारतीय मुसलमानों से तो नहीं लेना चाहते हैं ?
 पाकिस्तान मुसलमानों के हिमायती बनकर या नेपाल खुदको हिन्दूरास्ट्र (वर्तमान में नहीं है) घोषित करके क्या हासिल कर लिया ?
सो कृप्या सोचिए और आत्ममंथन कीजिए। हमें विश्वास है कि हम आज भी *"विविधता में एकता"* और *"सर्वधर्म सद्भाव"* जैसे मंत्रो के माध्यम से भारत को और गौरवशाली व विश्वगुरू बना सकते हैं।

*हमारी संस्कृति वासुधेव कुटुम्बकुम पर विश्वास रखती है और यह शिक्षा हमें समस्त विश्व के जनमानस तक पहुँचाना था लेकिन हम तो अग्रेजों के फूट डालों राज करो की तर्ज पर काम कर रहें है , अग्रेजों ने इस नीति को इसलिए अपनाया था क्यों कि उन्हे भारतीय और भारतीयों की उन्नती से कोई सरोकार नहीं था क्यों कि इस नीति के साथ कोई भी राष्ट्र कदापि उन्नति नहीं कर सकता , सदैव देखा जाता है कि गुलाम की मानसिकता भी गुलाम हो जाती है जिसका असर काफी दिनों तक बाकी रहता है , हम एक लम्बे समय तक अग्रेजों के गुलाम रहें है इसलिए ऐसे फैसले सायद उसी कारण से हो  , मै भारत सरकार से विनती करता हूँ कि अब तो काफी समय हो चुका है हमें आजाद हुए ,अब समय है ऐसी भेदभाव पूर्ण विचारधारा से बाहर निकल कर राष्ट्रहित में फैसले लेने का न कि पक्षपात पूर्ण , क्यों कि एक आदर्श राजा वही होता है जो अपनी प्रजा में भेदभाव नहीं करता ।*

*मैसेज लिखते वक्त तक तो सच्चा भारतीय हूँ लेकिन कुछ कह नहीं सकता कि कल घुसपैठिया घोसित कर दिया जाऊ

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