- देश का दुर्भाग्य रहा है आज़ादी के 70 दशक बीत जाने के बाद भी देश की सियासत में आज भी क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों की रणनीति अपनाई जाती रही है पूर्व सरकारों की तरह वर्तमान सरकार में भी ये विक्रसित मानसिकता का शिकार होते आ रहे है जैसे कि हाल ही में सरकार के नुमाइंदों की ओर से सावरकर को भारत रत्न देने की मांग कर दी है । सरकार सावरकर को किस वीरता को लेकर भारत रत्न देने की सोच रही है। इतिहास गवाह है सावरकर ने अंग्रेजों को माफी नामा लिखा था । अगर अंग्रेज़ सरकार असीम भलाई और दया दिखाते हुए मुझको रिहा करती तो में विश्वास दिलाता हूं अंग्रेज़ सरकार का वफादार बनकर रहूंगा वो सावरकर ने कर के दिखाया जब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस देश की आजादी को लेकर जर्मनी और जापान की मदद से देश को गुलामी से मुक्ति कराने को लेकर पुर जोर से दुश्मनों को लोहे के चने चबा रहे थे उस वक्त सावरकर नेता जी का साथ देने की बजाय देश के दुश्मन अंग्रेजों का साथ दे रहे थे और भारत में सैनिकों की भर्ती के लिए अंग्रेजो की हर संभव मदद कर रहे थे । और जब सावरकर 10 वर्ष कारागार में गुजारने के बाद अंग्रेज़ अधिकारियों ने अपना सहयोगी बनने का प्रस्ताव रखा तो सावरकर करने घुटने टेकते हुए स्वीकार कर लिया क्या इन सभी को सावरकर की उपलब्धियां मानकर सरकार के प्रवक्ता टीवी पर जोर जोर से चिल्लकर कर भारत रत्न देने की मांग कर रहे है। जरा भी मानवता और ज़मीर जिंदा है तो भारत रत्न उन वीरों को दो जो असली हकदार हैं। जैसे सरदार भगत सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , चन्द्र शेखर आज़ाद, राजगुरु , सुखदेव , पंडित रामप्रसाद बिस्मिल , अशफाक उल्ला ख़ां , ठाकुर रोशन सिंह , सरदार उधम सिंह , सरदार करतार सिंह सराभा , खुदीराम बोस जो देश की आज़ादी के लिए हंसते हुए फांसी का फंदा चूमा और बंदूक की गोली को चूमा इनके मिले भारत रत्न ना कि अंग्रेज दुश्मनों का साथ देने वाले सावरकर को
कोटि कोटि नमन महान क्रांतिकारी वीरों को
संस्था इनके सम्मान दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष करती रहेगी मांगो को लेकर । बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
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