खबर है जिला शामली के कस्बा चौसाना की जहां पर डाक्टरों की हो रही है बल्ले बल्ले यहां पर कही स्वास्थ विभाग की मिलीभगत तो नही

यह  कहीं स्वास्थ्य विभाग की पनाह तो नही..
स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं की जाती कोई भी कार्रवाई लोगों की जान से किया जा रहा खिलवाड़….

कस्बा चौसाना की गलियों से लेकर मुख्य मारग पर डॉक्टरों की भरमार हो रही है। आलम यह है कि एक-एक गली में चार-चार क्लीनिक चल रहे हैं। बिना किसी डिग्री के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े हर मर्ज का इलाज इनके यहां होता है। अगर मरीज थोड़ा ठीक भी है और इनके इलाज से अगर वो बीमार पड़ जाए तो इससे इनको कोई परवाह नहीं है। केवल अपनी आमदनी से मतलब है क्योंकि फीवर हो चाहे टाइफाइड हो चाहे कोई भी बीमारी हो इनको तो केवल ड्रीप चढ़ाने से अलावा कोई और मामला नहीं है क्योंकि इनको केवल अपनी आमदनी से मतलब है और इस्से स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल अनजान बना बैठा है कही झोलाछाप डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग की पनाह तो नहीं है…

दरअसल आपको बता दें कि
इन झोलाछाप डॉक्टरों का लक्ष्य सिर्फ चंद पैसे कमाना ही होता है। यही वजह है कि आए दिन गरीब तबके के लोग इन डॉक्टरों के शिकार हो जाते हैं। जिससे वे अपनी जान तक गंवा बैठते हैं। इसके बावजूद भी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

आज तक  किसी भी झोलाछाप डॉक्टर को नोटिस नहीं भेजा गया और ना ही उन पर कोई कार्रवाई की गई..
कस्बा चौसाना में
गली आैर मुख्य सडकों पर दुकान क्लीनिक खोले सैकड़ों झोलाझाप डाॅक्टरों में अब तक एक भी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई हैं। कई सालों से झोलाछाप डॉक्टरों का यह मामला चल रहा है स्थानीय लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग कुंभकरण की नींद सोया हुआ है स्वास्थ्य विभाग की ओर से आज तक झोलाछाप डॉक्टरों को नोटिस तक नहीं भेजा गया है। इसके अलावा कोर्इ कार्रवार्इ नहीं की गर्इ। यहीं कारण है कि झोलाझाप डाॅक्टर स्वास्थ्य विभाग से जरा भी नहीं डरते।

गांव और कस्बे के लोग  होते हैं इनके शिकार

झाेलाझाप डाॅक्टरों के शिकार कस्बे में मजदूरीआैर गांव में रहने वाले गरीब लोग हो रहे हैं। ये लोग इन डाॅक्टरों से 100से 500रुपये में दवार्इ ले लेते हैं। जिसका खामयाजा कर्इ बार उन्हें अपनी मौत को गले लगाकर चुकाना पडता है। अब तक एेसे कर्इ मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें झोलाझाप डाॅक्टरों की दवार्इ से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

स्वास्थ्य विभाग का भी नहीं है कोर्इ खौफ

कस्बे की गलियों व गांवों में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं। उन्हें पता है कि विभाग कभी छापेमारी करने नहीं आएगा चूंकि विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी सांठ-गांठ रहती है। किसी शिकायत पर अगर छापेमारी हो भी जाती है तो इसकी जानकारी इन्हें पहले ही मिल जाती है। अवैध क्लीनिकों के अलावा अवैध मेडिकल स्टोर भी सैकड़ों की संख्या में चल रहे हैं। यही नहीं इन मेडिकल स्टोर पर उन दवाइयों को भी आसानी से लिया जा सकता है जिन पर बैन है।

झापेमारी से पहले ही मिल जाती है जानकारी

सूत्रों का दावा है कि किसी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ जब भी किसी के द्वारा शिकायत करने पर छापेमारी की जाती है। तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाॅक्टर अपनी दुकान बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं। ….. अगर इन झोलाछाप डॉक्टरों की दवाइयों से मरीज की हालत बिगड़ जाती हैं और उनसे मरीज के घर वाले या खुद मरीज ये पुंछने की कोशिश करते या करता हैं कि डॉक्टर साहब कि आपने मरीज को जो दवाईयां दी है उनसे मरीज की हालत और बिगड़ गई है आप ने जो दवाईयां हमारे मरीज को दी है उन्हें आप लिखकर दे दो हम अपने मरीज को कहीं अच्छे से डाक्टर के यहां इलाज करा लेंगे तो डाक्टर साहब कहते हैं कि यहां से लिखित में कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें मरीज जहां ले जाना है ले जाओ सब डाक्टर अपनी दवाईयां अलग देते हैं मरीज के घर वाले जब झोलाछाप डॉक्टर के यहां कुछ लोग इस बात को लेकर हंगामा करते हैं तो कुछ डाक्टर साहब कहते कि निकल वरना 100नम्बर पर कोल कर कहें रहा हूं कि मेरे गल्ले से पैसे निकाल रहा था दोस्तों बहुत दिनों से लिखना सोझ रहा था डर लगता है कही विभागीय अधिकारी मेरे उपर दो चार मुकदमे ना कर बैठे आप का अपना प्रिय मित्र नौशाद राणा

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