डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के सपनो का भारत 15 अक्टूबर जयंती पर विशेष



सगीर ए ख़ाकसार
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का नाम आते है नज़रों के सामने  एक सच्चे और अच्छे इंसान की एक छवि उभरती है ।एक ऐसा महान इंसान जिसकी पूरी ज़िंदगी मानवता,देश सेवा,दया,और देश के विकास को समर्पित है।देश ही नहीं बल्कि वो पूरी दुनिया में अपनी विशिष्टताओं के कारण अनुकरणीय हैं।कलाम की सफलता के सभी कायल हैं। उन जैसा बनना भी कौन नहीं चाहता ?लेकिन क्या इतना आसान है कलाम बनना?कलाम जैसा बनने के लिए व्यक्ति में कलाम जैसा जुझारूपन, संघर्ष,समर्पण, और धैर्य का होना लाज़िमी है।
कलाम साहब का रिश्ता सिर्फ विज्ञान से नहीं था ।साहित्य और समाज से भी उनका अनूठा रिश्ता था।कलाम साहब की यही विशेषता उन्हें बाकी भारतीय वैज्ञानिकों से अलग स्थापित करती है।भारत के राष्ट्र्पति के रूप में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनायी।सदियो से चली आरही रवायतों को उन्हों तोड़ा।राष्ट्रपति भवन में आये अपने रिश्तेदारों पर हुए खर्चे का भुगतान अपने निजी खाते से किया।आवास पर चहारदीवारी पर शीशे लगाने से उन्होंने मना कर दिया।कलाम साहब ने कहा दीवारों पर अगर शीशे लगा दिए जाएंगे तो चिड़िया कहाँ चहचहायेगी?ऐसी  कई शानदार मिसालें कलाम साहब ने बतौर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में पेश की,जो हमेशा ही याद रहेंगीं।इन्हीं सब विशिष्टता की वजह से उन्हें "जनता का प्रेसिडेंट" कहा जाता है।
   कलाम साहब की ज़िंदगी से जुड़ी यह स्मृतियां हम सब के लिये प्रेरणा भी है और आईना भी।उनमें वो सारी विशेषताएं मसलन सादगी,ईमानदारी,सरलता, आदि थीं जो आज के राजनैतिक परिदृश्य में दुर्लभ हो चले हैं।
कलाम साहब ने भारत को विकसित,शक्तिशाली और समृद्धशाली देश बनाने का सपना देखा था।इसी सपने को साकार करने के लिए जीवन पर्यन्त मेहनत करते रहे।कलाम साहब का मानना था कि सपने वो नहीं जो हम रात में सोते हुए देखते हैं,सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।कलाम साहब की जिंदगी किस से प्रेरित थी यह कहना तो फिलहाल मुमकिन नहीं है।लेकिन हम सबके लिए वो प्रेरणादायी हैं इसमें कोई संदेह नहीं हैं।कलाम साहब का मानना था भारत का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है और भारत में एक समृद्ध सभ्यता,विरासत,संसाधन व प्रतिभाशाली कार्यशक्ति है।उनका मानना था कि भारत को विकसित बनाने के लिए आर्थिक विकास को बढ़ाना होगा।उनका लक्ष्य 2020 तक भारत विकसित राष्ट्र बनाने का था जिसके लिए उन्होंनें वाई एस राजन के साथ मिलकर "भारत 2020 नव निर्माण की रूप रेखा"नामक पुस्तक भी लिखी थी।इस पुस्तक में डॉ कलाम ने सिर्फ सपना देखा बल्कि यह भी बताया कि कैसे भारत विश्व के पांच शक्तिशाली देशों में शामिल हो सकता है।इस पुस्तक को डॉ कलाम ने उस दस वर्षीय बच्ची को समर्पित किया है जिसने एक भाषण के दौरान ऑटोग्राफ लेते वक्त कलाम ने खुद पूंछा था कि तुम्हारी महत्वाकांकक्षा क्या है? उस लड़की ने तपाक से जवाब दिया कि मैं एक विकसित भारत में जीवन बिताना चाहती हूँ।
डॉ कलाम के सपनों का भारत बनाने में समाज के सभी तबकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।छात्र,युवा,किसान,इंजीनियर, वैज्ञानिक,शिक्षाविद,उद्योगपति,तकनीशियन, सैन्यकर्मी,प्रशासक,अर्थशास्त्री,खिलाडी, और दूरदर्शी राजनेताओं आदि की उल्लेखनीय भूमिका भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में मदद कर सकती है।इसके अलावा डॉ कलाम का मानना था प्रोधोगिकी की भूमिका अति महत्वपूर्ण है।हमारे पास प्रेक्षण यानों,मिसाइलों,तथा वायु सेना के डिजाइन सिस्टम,सिस्टम इंटिगेराशन,इंजीनयरिंग, सिस्टम मैनेजमेंट की भी योग्यता है और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी  के विकास की क्षमता भी है।डॉ कलाम देश को मजबूत बनाने के लिए रात दिन अथक प्रयास करते थे।खूब भ्रमण करते थे।जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बंधित लोगों से मिलते जुलते थे।उनकी राय लेते थे।वो छात्र ,युवा किसान इत्यादि से कुछ न कुछ सीखते थे।डॉ कलाम जानते थे कि भारत में सत्तर करोड़ युवा मस्तिष्क हैं।भारत के युवाओं की योग्यता का डंका पूरे विश्व मे बज रहा है।खास तौर से सूचना और तकनीक के क्षेत्र में भारतीय युवाओं ने सफलता के नए नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं।यह एक बड़ी जमात है नौजवानों की जिसे राष्ट्र निर्माण की दिशा में उन्मुख किये जाने की आवश्यकता है।इस विशाल शक्ति को रचनात्मक रूप से भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए  प्रेरित करना होगा।विकसित देश मे रहने का सपना सिर्फ उस दस वर्षीय बच्ची की आकांक्षा भर नही है।भारत का प्रत्येक नागरिक कलाम साहब के सपनों के ख़ुशहाल ,सम्पन्न,समृद्ध,शक्तिशाली,अमनपसंद तथा सुरक्षित भारत मे रहना चाहेगा।
डॉ कलाम साहब के संघर्षों को बयां करता हफ़ीज़ बनारसी का यह  शेर उनके सपनों के भारत को समर्पित है।
चले चलिए कि चलना ही दलील ए कामरानी है
जो थक कर बैठ जाते हैं वो मंज़िल पा नहीं सकते।

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