हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण भारतीय संस्कृति के लिए घातक : आचार्य विनिश्चय सागर



ललितपुर से मानसिंह के साथ इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट


वाककेशरी आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में अटा जैन मंदिर में दिगम्बर जैन पंचायत समिति के तत्वावधान में चल रही त्रिदिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के दूसरे दिन सुबह, दोपहर और रात्रि कालीन सत्रों में अनेक विद्वानों ने अपने शोधालेख प्रस्तुत किये। प्रातः कालीन सत्र का शुभारंभ पंडित लोकेश शास्त्री बासवाड़ा के मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद विद्वानों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके बाद मुनि श्री प्रांजल सागर महाराज ने सत-प्ररुपणासार ग्रंथ का वाचन कर अर्घ्य समर्पित करवाये।
इस सत्र में आधुनिक शिक्षा और जैनधर्म विषय पर अपना शोधालेख प्रस्तुत करते हुए अपनी ओजस्वी वाणी में डॉ. सुशील जैन मैनपुरी ने कहा कि आधुनिक शिक्षा ने ज्ञान तो दिया पर अनुभव व संस्कारों का सत्यानाश कर दिया है।इस शिक्षा से हम भौतिकता के चकाचोंध में ऐसे फस गये है कि हमारे विवेक के नष्ट होने से क्या अनुचित है क्या उचित हम इसका निर्णय करने में अशक्य हैं।आधुनिक शिक्षा से हमारे जीवन मे हिंसा, झूठ,चोरी,कुशील, परिग्रह की वृध्दि से हम धर्म से दूर होते जा रहे हैं।लोभ व वित्तेषणा से हम केवल पेकेज के चक्कर में।पूजा,आहार,तीर्थ को भूलते जा रहे है।राष्ट्र कवि श्री मैथिलीशरण जी को याद करते हुए डॉ सुशील जैन ने कहा हम कौन थे,कौन है और क्या होंगें अभी से हर क्षेत्र में हमारा कितना पतन हुआ है इसके अनेक उदाहरण दिये। उन्होंने कहा कि जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश का सबसे ज्यादा शिक्षित जैन समाज है।
अखिल भारतवर्षीय शास्त्री परिषद के अध्यक्ष डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत ने अपने आलेख को प्रस्तुत हुए कहा कि दिगम्बर जैन मुनिराजों की चर्या का अभिन्न अंग समितियाँ हैं। दिगम्बर मुनि मित्र एवं शत्रु दोनों के प्रति राग एवं द्वेष पूर्ण शब्दों का प्रयोग नहीं करते, कर्कश, कठोर, निंदनीय शब्दों का प्रयोग नहीं करते। वे निरंतर स्वाध्याय एवं ध्यान में लीन रहते हैं।
ब्र. विनोद जी छतरपुर ने अपने शोधालेख में कहा कि जैन दर्शन में जीवों के भेद-प्रभेद अनेक दृष्टियों से किए गए हैं। द्रव्य की दृष्टि से सभी आत्माएं एक रूप हैं, पर्याय दृष्टि से उनमें भिन्नता पायी जाती है।
सत्र की अध्यक्षता कर रहे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में जैन -बौद्ध- दर्शन के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार जैन वाराणसी ने कहा कि मेरी कर्मभूमि ललितपुर रही है। उन्होंने लालित्य नगरी ललितपुर की उन्होंने प्रशंसा की तथा कहा कि यहाँ की  जैन समाज ने अनेक ऐतिहासिक कार्य किये किये हैं जिन्होंने पूरे देश में अनोखी छाप छोड़ी है।
संचालन प्रतिष्ठाचार्य विनोद जैन रजवांस ने किया। डॉ. सुनील संचय ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की।
इस दौरान आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी महाराज ने अपनी मंगल वाणी में देशभर से आये प्रमुख विद्वानों एवं जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि समिति और गुप्ति दिगम्बर मुनियों के प्राण हैं। ये दिगम्बरत्व को सुरक्षित रखती हैं। जैन दर्शन में व्यक्ति की नहीं गुणों की पूजा की  गई है। व्यक्ति के गुण पूज्यनीय होते हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा में नैतिकता का अभाव होने से आज युवा पीढ़ी संस्कारों से रहित हो रही है। नैतिक पतन होने से हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण दिनोंदिन हो रहा है जो भारतीय संस्कृति के लिए घातक है।
संगोष्ठी के मध्य पंडित पवन दीवान मुरैना की कृतियों जिनयाग मंडल पंचकल्याणक अर्चना पुंज, द्वादश अनुप्रेक्षा पुंज और नित्यमह जिन अर्चना पुंज का विमोचन प्रमुख विद्वानों और जैन पंचायत समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
मध्यान्ह के सत्र की अध्यक्षता प्राचार्य निहालचंद्र बीना ने की। संचालन डॉ विमल जैन जयपुर ने किया। इस सत्र में जैनदर्शन के विद्वान डॉ पंकज जैन भोपाल ने गृहस्थी, माता पिता के प्रति दायित्व, प्राकृत भाषा के विद्वान डॉ आशीष जैन भोपाल ने जैन साहित्य की इंटरनेट पर उपलब्धता, पंडित आलोक मोदी ने जैन दर्शन में अणु स्कंध का विवेचन, पूर्व प्राचार्य महेन्द्र शास्त्री मुरैना ने आचार्य विमल सागर का भारतीय संस्कृति को अवदान, राजेश शास्त्री ने ध्यान और उसके प्रकार, सोमचंद्र शास्त्री ने सम्यकदर्शन की पांच लब्धिया विषय अपने शोधपरक महत्वपूर्ण आलेख बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किये।
अटा मंदिर में चल रही इस त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के सुप्रसिद्ध प्रोफेसर, प्रवक्ता सम्मिलित हो रहे हैं। आलेख प्रस्तुत होने के बाद आलेख से संबंधित शंका समाधान में जहाँ विद्वान रूचि पूर्वक प्रश्न कर रहे हैं वहीं उपस्थित श्रावक भी अपनी शंकाओं का समाधान मनीषियों से प्राप्त कर रहे हैं। विद्वान अपने खोजपूर्ण आलेखों से अनेक नए तथ्यों को भी उदघाटित कर रहे हैं।
इस दौरान डॉ शीतलचंद्र जयपुर, डॉ कमलेश जयपुर, पंडित पवन दिवान मुरैना, डॉ पंकज जैन भोपाल, डॉ आशीष जैन, डॉ विमल जैन जयपुर, डॉ आशीष वाराणसी, पंडित अनिल सागर, पंडित मुकेश जैन, पंडित शीतलचंद्र, डॉ नीलम सराफ, पंडित सचिन टेहरका, मनीष शास्त्री शाहगढ़, वीरचन्द्र जैन, अशोक शास्त्री, पंडित जीवन लाल शास्त्री, शीलचंद्र शास्त्री, ज्ञानचन्द्र मदन, संतोष शास्त्री अमृत,प्रदीप शास्त्री, पंडित अरविंद जैन, पंडित खेमचंद्र, पंडित स्वतंत्र जैन टीकमगढ़, निहालचंद्र चंद्रेश, डॉ ऋषभ जैन, पंडित वीरेंद्र जैन, पंडित आलोक शास्त्री आदि अनेक विद्वान उपस्थित रहे।
इस दौरान जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टडैया,उपाध्यक्षा मीना इमलिया, पूर्व अध्यक्ष सुंदर लाल अनौरा, अखिलेश गदयाना, संजीव ममता स्पोर्ट्स, धार्मिक आयोजन समिति के संयोजक मनोज बबीना, अक्षय अलया, अटा मंदिर के प्रबंधक कपूरचंद लागोन, भगवानदास कैलगुवा, मोदी पंकज जैन पार्षद, राजेन्द्र जैन, प्रमोद पाय, शादीलाल एडवोकेट, जयकुमार एडवोकेट, विमल जैन पीहर,संजय मोदी,अलका जैन,गुणमाला जैन, कमला जैन, नरेश मुक्ता, वीरेंद्र विद्रोही, महेंद्र पंचम, सनत खजुरिया,अनिल अलया, सनत जैन आदि  उपस्थित रहे।
आभार जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल जैन अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टडैया ने किया।

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