देहरादून/उत्तराखंड।
राज्य के लाखों बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर सामने आई है। ऊर्जा निगम बोर्ड ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों में 16.23% की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। यह फैसला राजस्व घाटे को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, हालांकि अंतिम निर्णय विद्युत नियामक आयोग को लेना है। इसका मतलब है कि उपभोक्ताओं की जेब पर इसका प्रभाव अभी नहीं, बल्कि नियामक मंजूरी के बाद ही पड़ेगा।
राज्य में बिजली महंगी क्यों होगी?
बोर्ड बैठक में निगम की वित्तीय स्थिति का विस्तृत आकलन किया गया।
रिपोर्ट में यह सामने आया—
- मौजूदा दरों पर निगम को केवल 10078.47 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा
- जबकि ज़रूरत 11422.37 करोड़ रुपये की है
- यानी लगभग 1344 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा
इसी अंतर को कम करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया गया।
फिर भी, प्रस्तावित बढ़ोतरी के बाद भी उत्तराखंड देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाले राज्यों में शामिल रहेगा।
नई बिजली दरें कब से लागू होंगी?
नई दरों के लागू होने की पूरी प्रक्रिया इस प्रकार है—
- ऊर्जा निगम ने प्रस्ताव भेज दिया है
- अब विद्युत नियामक आयोग (UERC) प्रस्ताव का परीक्षण करेगा
- आयोग जनता से आपत्तियाँ और सुझाव आमंत्रित करेगा
- सार्वजनिक सुनवाई होगी
- इसके बाद मार्च 2026 के अंतिम सप्ताह में आयोग नई दरों की घोषणा करेगा
- यदि आयोग ने प्रस्ताव को बिना बदलाव स्वीकार किया, तो—
नई बिजली दरें 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2027 तक पूरे राज्य में लागू होंगी
इसका मतलब है कि अभी से उपभोक्ताओं को अपने बिजली बिलों में संभावित बदलाव के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
उपभोक्ताओं पर क्या होगा प्रभाव?
- घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक सभी श्रेणियों पर असर पड़ेगा
- हालाँकि सरकार और निगम का दावा है कि उत्तराखंड की बिजली दरें अब भी “न्यूनतम श्रेणी” में बनी रहेंगी
- ऊर्जा निगम का कहना है कि यह बढ़ोतरी विकास कार्यों और बिजली आपूर्ति प्रणाली को सुदृढ़ करने में सहायक होगी
✍️ "समझो भारत" — देश की लोकप्रिय राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
हरिद्वार (उत्तराखंड) से पत्रकार तसलीम अहमद की ख़ास रिपोर्ट
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