— ज़मीर आलम, विशेष रिपोर्ट, शामली (उ.प्र.) | “समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
शामली जनपद आज गमगीन माहौल में डूब गया, जब वरिष्ठ समाजसेवी और एडवोकेट राशिद अली चौहान के बड़े भाई वासिक चौहान के इंतक़ाल की खबर सामने आई।
आज दिन बुधवार, 03 दिसंबर 2025 को सुबह लगभग 9:30 बजे, वासिक साहब क़ज़ा-ए-ईलाही से इस दुनिया से रुख़्सत हो गए।
अल्लाह ताला मरहूम की मग़फिरत फ़रमाए, उनकी रूह को जन्नतुल फिरदौस में आला मुकाम अता फरमाए और खासतौर पर घरवालों को सब्र-ए-जमील अता करे—आमीन।
कई महीनों से चला आ रहा था दर्दनाक संघर्ष
कुछ माह पूर्व वासिक साहब का एक गंभीर सड़क हादसा हुआ था। बाइक से जाते हुए उनका भीषण एक्सीडेंट हो गया, जिसमें उनके सिर पर गहरी चोटें आईं।
परिवार ने हर संभव कोशिश की—
• शामली,
• पानीपत,
• और दिल्ली के बड़े अस्पतालों में
इलाज कराया गया… मगर हालात सुधरने की जगह और बिगड़ते चले गए।
इलाज के दौरान वे कब कोमा में चले गए, यह किसी को पता भी नहीं चला। कई महीनों तक वे बिस्तर पर पड़े जिंदगी और मौत से लड़ते रहे, लेकिन आज सुबह यह जंग खत्म हो गई और मौत ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया।
हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई
वासिक साहब का जनाज़ा आज नमाज़-ए-असर के बाद ईदगाह में अदा किया गया।
जनाज़े में हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए—
• रिश्तेदार,
• दोस्त,
• जानने वाले,
• समाजसेवी,
• और चौहान परिवार के चाहने वाले लोग
सबने मरहूम की मग़फिरत के लिए दुआएँ कीं।
उसके बाद मय्यत को क़ब्रिस्तान में सपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया।
परिवार और समाज दोनों के लिए अपूरणीय क्षति
वासिक चौहान का यूँ अचानक जाना परिवार के साथ-साथ पूरे समाज के लिए एक बड़ी क्षति है।चौहान परिवार सामाजिक कार्यों, मिलनसार स्वभाव और इंसानी खिदमत के लिए जाना जाता है। इसी वजह से आज हर चेहरा ग़म से भर गया।
✍️ विशेष रिपोर्ट
ज़मीर आलम
शामली, उत्तर प्रदेश
“समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📞 8010884848
🌐 www.samjhobharat.com
📩 samjhobharat@gmail.com
No comments:
Post a Comment