बिडौली सादात की पवित्र सरज़मीन पर बीती बरसपतिवार की रात एक गहरे ग़म और अकीदत से भरी मजलिस का आयोजन हुआ।
इमाम बारगाह में आयोजित इस मजलिस में फातिमा ज़हरा (स.अ) की शहादत को याद करते हुए शिया बिरादरी ने अश्कों और मातम के साथ उनकी पवित्र याद को ताज़ा किया।
🌙 मौलाना सय्यद तसदीक हुसैन (दिल्ली) का असरदार खिताब
मजलिस में मौलाना सय्यद तसदीक हुसैन ने अपने प्रभावशाली बयान से माहौल में एक रूहानी कैफ़ियत पैदा कर दी।
उन्होंने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ) की सीरत पर चलना सिर्फ़ एक इबादत नहीं बल्कि इंसानियत का सबसे बेहतरीन अमल है।
मौलाना ने बीबी फ़ातिमा की पाक ज़िंदगी के अहम पहलुओं को बयान करते हुए बताया कि किस तरह उनका हर लम्हा सब्र, तक़वा, बलिदान और इंसाफ़ की मिसाल है।
🕯️ ग़ाज़ीपुर में भी हुई एसाले सवाब की मजलिस
उधर गाज़ीपुर में एसाले सवाब की मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें सय्यद वसी हैदर और सय्यद फ़ज़ल अली उर्फ़ अच्छू मियां ने मजलिस का संचालन संयुक्त रूप से किया।
दोनों जगहों पर मुल्क की अमन, आपसी मोहब्बत और सलामती के लिए ख़ास दुआएं की गईं।
📿 शब्बेदारी और मातम—ग़म का आलम
रात्रि में शब्बेदारी और मातमदारी का गहरा मंजर देखने को मिला।
नौहाखानी में हाशिम शाह और मेहदी ने दिलों को ग़मगीन कर देने वाले नौहे पेश किए।
मंज़ूम कलाम के साथ सय्यद अली रज़ा और मन्नन मियां ने अपने इश्क़-ए-अहलेबैत का इज़हार किया।
सोजखानी में गुलाम अली, मिन्हाल मेहदी और सय्यद हसन अली ने माहौल को और भी रूहपरवर बना दिया।
🤲 अमन-ओ-शांति के लिए ख़ास दुआ
मजलिस के आख़िर में मौलाना सय्यद तसदीक हुसैन ने मुल्क के अमन, भाईचारे और इंसानी हमदर्दी की फ़िज़ा क़ायम रहने की दुआ कराई।
👥 मजलिस में मौजूद अकीदतमंद
मजलिस में सलीम शाह, मंसूर शाह, हामिद शाह, मेहताब मेहंदी, जिया मेहंदी, आग़ाज़, रेहान हैदर, नियाज़ हैदर, बाक़िर शाह, गुड्डू मियां, डॉक्टर रज़ी बाक़र सहित बड़ी तादाद में अकीदतमंद मौजूद रहे।
✍️ “समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए
बिडौली, झिंझाना, शामली (उ.प्र.) से
पत्रकार — शाकिर अली की ख़ास रिपोर्ट**
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