बरसात का मौसम कई बार राहत के साथ आफ़त भी लेकर आता है। झिंझाना क्षेत्र के बिडोली सादात निवासी शाकिर अली पुत्र नसीर शाह के साथ ऐसा ही हुआ, जब अचानक उनकी दुकान की छत तेज़ बारिश के दौरान ढह गई। इस हादसे में दुकान में रखा करीब पचास हज़ार रुपये से अधिक का सामान पूरी तरह से नष्ट हो गया।
गनीमत यह रही कि हादसे के वक्त दुकान पर कोई मौजूद नहीं था, वरना यह घटना जानलेवा साबित हो सकती थी।
पीड़ित की व्यथा
शाकिर अली ने उपजिलाधिकारी ऊन को दिए गए प्रार्थना पत्र में बताया कि उनकी दुकान की छत काफी पुरानी और जर्जर हालत में थी। भारी बरसात का दबाव वह झेल नहीं सकी और अचानक गिर गई। उनका कहना है कि यह दुकान ही उनके परिवार की रोज़ी-रोटी का मुख्य साधन थी। सामान और ढांचे के नुकसान ने उन्हें बेहद कठिन परिस्थिति में डाल दिया है।प्रशासन से अपील
पीड़ित ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि इसे प्राकृतिक आपदा मानते हुए सरकारी योजनाओं के अंतर्गत उन्हें मुआवज़ा दिया जाए। शाकिर अली ने छत गिरने की तस्वीरें और समाचार पत्र में प्रकाशित खबर की प्रति भी प्रशासन को सौंप दी है।
सवाल उठता है...
गांव-कस्बों के बाज़ारों में कई दुकानों की स्थिति ऐसी ही जर्जर है। बारिश का मौसम आते ही छत और दीवारें खतरे का कारण बन जाती हैं। ऐसे हादसों को टालने के लिए प्रशासन को समय-समय पर सर्वे कराना और पुराने ढांचों की मरम्मत/सुधार को प्राथमिकता देनी चाहिए।✍️ ज़मीर आलम
(शामली, उत्तर प्रदेश से "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए विशेष रिपोर्ट)
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