छुटमलपुर। नगर पंचायत छुटमलपुर में देहरादून रोड स्थित घास मंडी तिराहे पर चल रहे सौंदर्यीकरण और 110 फीट ऊंचे तिरंगे की स्थापना को लेकर घमासान मच गया है। एक ओर सभासदों ने लाखों रुपये के प्राक्कलन और कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, तो दूसरी ओर अवर अभियंता नीरज कुमार ने सभी आरोपों को नकारते हुए पूरी जिम्मेदारी अधिशासी अधिकारी कमलाकांत राजवंशी पर डाल दी है। मामला अब प्रशासन तक पहुंच गया है और जांच की संभावना भी जताई जा रही है।
करोड़ों का नहीं, लाखों का खेल
घास मंडी तिराहे के सौंदर्यीकरण के लिए 20 लाख 600 रुपये और राष्ट्रीय ध्वज स्थापना के लिए 22 लाख 57 हजार 600 रुपये (18% जीएसटी सहित) का प्राक्कलन तैयार किया गया है। प्राक्कलन में ईंटों की निकासी, नींव खुदाई, कंक्रीट, टाइल्स, पेंटिंग, स्टेनलेस स्टील रेलिंग, फव्वारा और एलईडी लाइट्स लगाने का खर्च शामिल है। वहीं तिरंगे की स्थापना में मास्ट पोल, गैल्वेनाइज्ड कोटिंग और सिविल कार्य सम्मिलित हैं। सभासदों का कहना है कि यह खर्च वास्तविकता से कहीं अधिक दर्शाया गया है।
अवर अभियंता का पलटवार
सभासदों के आरोपों पर अवर अभियंता नीरज कुमार ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि सभी प्राक्कलन लोक निर्माण विभाग की दरों के अनुसार बनाए गए हैं। निविदाएं भी अधिशासी अधिकारी ने जैम पोर्टल के माध्यम से कराई थीं। कार्यों का निरीक्षण भी उन्हीं के द्वारा किया गया। ऐसे में गुणवत्ता और पारदर्शिता की जिम्मेदारी पूरी तरह अधिशासी अधिकारी की होगी। नीरज कुमार ने यहां तक चेतावनी दे डाली कि यदि भविष्य में कोई गड़बड़ी उजागर होती है, तो उसके लिए कमलाकांत राजवंशी ही उत्तरदायी होंगे।
ग्रामीणों ने उठाई पारदर्शिता की मांग
ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि विकास कार्य जनता के हित में हैं, लेकिन इनमें पारदर्शिता और गुणवत्ता बेहद जरूरी है। राष्ट्रीय ध्वज का कार्य सम्मान और गौरव से जुड़ा है, ऐसे में विवाद अपने आप में गंभीर है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत जांच कर सच्चाई सामने लानी चाहिए।
अब प्रशासन की बारी
अवर अभियंता ने इस विवाद की रिपोर्ट उपजिलाधिकारी बेहट और अपर जिलाधिकारी सहारनपुर को भी भेज दी है। प्रकरण अब अधिकारियों की निगाह में है और जांच के संकेत साफ दिखाई देने लगे हैं। नगर पंचायत के भीतर अधिकारी और जनप्रतिनिधि आमने-सामने हैं, जिससे कार्य की साख और पारदर्शिता पर सवालिया निशान लग गए हैं।
यह विवाद अब सिर्फ घास मंडी तिराहे तक सीमित नहीं है, बल्कि नगर पंचायत की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। अब सबकी निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। रिपोर्ट - गुलवेज़ आलम की खास रिपोर्ट
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