चौधरी वीरेंद्र सिंह बोले—शिक्षा की रीढ़ हैं निजी स्कूल, सरकार को देना चाहिए प्रोत्साहन

सहारनपुर, 7 सितंबर। दिल्ली रोड स्थित कांधला के चंदनलाल नेशनल इंटर कॉलेज में रविवार को उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ द्वारा शिक्षक दिवस सप्ताह धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। स्कूली बच्चों ने सरस्वती वंदना और देशभक्ति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया।

समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधान परिषद सदस्य चौधरी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि निजी स्कूल शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं। इन स्कूलों के शिक्षकों की मेहनत से शिक्षा का स्तर लगातार ऊंचा हो रहा है। उन्होंने कहा कि मजबूरी में सरकार को अपने ही स्कूलों का आपस में विलय करना पड़ रहा है, जबकि निजी स्कूल मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा से बेहतर परिणाम दे रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह निजी स्कूलों की समस्याओं को गंभीरता से सुने और उन्हें प्रोत्साहन दे। वीरेंद्र सिंह ने भरोसा दिलाया कि वह विधान परिषद में निजी स्कूलों के पक्ष में आवाज उठाएंगे।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक मलिक ने कहा कि सरकार मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षकों को शिक्षक तक नहीं मानती, जबकि 95 प्रतिशत बच्चे इन्हीं स्कूलों में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म मानदेय पर काम करने वाले ये शिक्षक कठिन परिश्रम से हजारों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। इसके बावजूद न तो इन्हें मानदेय मिलता है और न ही प्रोत्साहन राशि। उन्होंने मांग की कि ऐसे शिक्षकों को मतदान का अधिकार भी दिया जाए।

जिला अध्यक्ष रविंद्र मलिक और महामंत्री विजय कुमार ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में फीस प्रतिपूर्ति पूरे देश में सबसे कम है। गरीब वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार केवल 450 रुपये प्रति माह देती है, जबकि अन्य राज्यों में यह राशि 1200 से 2500 रुपये तक है। यह निजी स्कूलों के साथ अन्याय है।

समाजसेवी विष्णु प्रसाद अग्रवाल और डॉ. विक्रांत चावला ने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल पुरस्कार का असली हकदार निजी स्कूलों का शिक्षक है, जो 95 प्रतिशत बच्चों को पढ़ा रहा है। लेकिन सरकार दुर्भावना से इन्हें दरकिनार कर रही है।

इस अवसर पर डॉ. कुलदीप मलिक, डॉ. प्रमोद कुमारी, प्रवीण गुप्ता, अजय धीमान, संजीव कुमार समेत कई शिक्षाविदों ने अपने विचार रखे। समारोह में जिले के 60 से अधिक मान्यता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को सम्मानित किया गया। स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों से खूब तालियां बटोरीं। समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए  गुलवेज़ आलम की रिपोर्ट 
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