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धाराओं की पुकार: जब गंगा ने छू लिए महादेव के चरण
उत्तराखंड की पुण्यभूमि ऋषिकेश, जहां योग की गूंज और भक्ति की अनुभूति हर श्वास में बसी हो, वहां आज प्रकृति की प्रचंडता अपने चरम पर है।लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने ऋषिकेश में गंगा के जलस्तर को इतना बढ़ा दिया है कि महादेव की शिवमूर्ति जलमग्न हो गई।
परमार्थ निकेतन के घाट पूरी तरह से गंगा की लहरों में समा गए हैं। हालात चिंताजनक हैं और प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
📸 ऋषिकेश के पवित्र घाटों पर संकट की लहरें
ऋषिकेश का परमार्थ निकेतन घाट न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि पूरी दुनिया में गंगा आरती और संत परंपरा का प्रतीक भी है।आज वही घाट जलमग्न हो चुके हैं। श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों के लिए यह एक भावनात्मक क्षति से कम नहीं।
“हर साल गंगा आती है, लेकिन इस बार वह करुणा नहीं, चेतावनी बनकर आई है।” — एक स्थानीय बुज़ुर्ग
🌧️ गंगा के बढ़ते कदम: हालात का आंकलन
- भारी बारिश से गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है
- शिवमूर्ति, जो सामान्यतः तट से ऊपर दिखाई देती है, अब पूरी तरह पानी में समा गई है
- चेतावनी जारी: प्रशासन ने घाटों और किनारे के क्षेत्रों में न जाने की सख्त हिदायत दी है
- पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अस्थायी रूप से हटाया जा रहा है
- स्थानीय नाव सेवाएं बंद और कई रास्तों पर अवरोध
🧘 योगनगरी में एक चेतावनी का संदेश
ऋषिकेश, जिसे विश्व योग नगरी कहा जाता है, आज प्राकृतिक प्रकोप के समक्ष खड़ा है। यह केवल एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि एक प्रकृति द्वारा भेजा गया संदेश प्रतीत हो रहा है —
"धरती का संतुलन बनाए रखें, नहीं तो प्रकृति स्वयं संतुलन बनाएगी।"
🚨 प्रशासन अलर्ट पर: लेकिन ज़िम्मेदारी सबकी
उत्तराखंड प्रशासन ने SDRF, NDRF, नगर निगम और स्थानीय पुलिस को तैनात कर रखा है।गंगा किनारे रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
लेकिन साथ ही ज़रूरत है जनसहयोग की:
- किसी भी अफवाह से बचें
- प्रशासन के निर्देशों का पालन करें
- बच्चों व बुज़ुर्गों को नदी से दूर रखें
- घाटों पर सेल्फी लेने या वीडियो बनाने की होड़ से बचें — यह जानलेवा हो सकता है
🌿 भावनाओं में बहने से बचें — गंगा का सम्मान करें
गंगा हमारे लिए केवल नदी नहीं, जननी है।आज जब वह अपने उफान पर है, तब हमसे संयम, सहयोग और समर्पण की अपेक्षा करती है।
यह समय दर्शन नहीं, ध्यान का है, आस्था नहीं, सजगता का है।
🔚 समापन विचार: ऋषिकेश की यह बाढ़ एक चेतावनी भी है और अवसर भी
यह अवसर है:
- प्रकृति के साथ पुनः संवाद स्थापित करने का
- स्थानीय प्रशासन को बेहतर आपदा प्रबंधन का अभ्यास करने का
- हम सभी के भीतर सोई सामाजिक और मानवीय चेतना को जगाने का
✍ ज़मीर आलम
प्रधान-संपादक, समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, ऋषिकेश
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