बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा में एक अहम कदम — राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

11 अगस्त, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस — यह सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि बच्चों के स्वस्थ भविष्य की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। इसी क्रम में शिक्षा क्षेत्र मया, अयोध्या के बीना सबीना पूर्व माध्यमिक विद्यालय, गोशाईगंज में आज सभी बच्चों को एल्बेंडाजोल (कृमि नाशक) दवा दी गई।

विद्यालय में बच्चों को न केवल दवा दी गई, बल्कि पेट के कीड़ों (कृमियों) के खतरों और उनके रोकथाम के उपायों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। प्रभारी प्रधानाध्यापक एम.ए. इदरीशी ने बच्चों को समझाया कि यह दवा साल में दो बार — अगस्त और फरवरी में — जरूर लेनी चाहिए। कारण स्पष्ट है: पेट के कीड़े शरीर में चुपचाप नुकसान करते हैं। ये लीवर पर हमला कर सकते हैं और पेट दर्द, भूख की कमी, आंतों में रुकावट, वजन घटने, उल्टी-दस्त, और चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का कारण बनते हैं। यही नहीं, इनकी वजह से बच्चों का पढ़ाई में मन भी नहीं लगता।

एल्बेंडाजोल क्यों जरूरी है?
सीएचसी मया बाज़ार के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर मोहम्मद आज़म के अनुसार, एल्बेंडाजोल परजीवियों, खासकर टेपवर्म, को खत्म करने में कारगर है। यह परजीवियों को मारकर शरीर को संक्रमण से मुक्त करता है। इसे लेने का तरीका भी महत्वपूर्ण है — गोली को हमेशा चबाकर खाएं और बाद में एक गिलास पानी जरूर पिएं।

सरकारी पहल और सामूहिक प्रयास

1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को यह दवा मुफ्त में दी जाती है, ताकि संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सके। यह कार्यक्रम न केवल स्वास्थ्य सुधार की दिशा में बल्कि शिक्षा के स्तर को भी बेहतर बनाने में योगदान देता है, क्योंकि स्वस्थ बच्चा ही अच्छे से पढ़ सकता है।

कार्यक्रम में सहभागिता
इस अवसर पर विद्यालय के अनुशासित शिक्षक मास्टर राहत अली सलमानी, चन्द्रशेखर इंटर कॉलेज गौहनियाँ बन्दनपुर के प्रबंधक रामतिलक शर्मा, रामप्रकाश सिंह, संदीप तिवारी, विनय कुमार, अखिलेश गौड़, सचिन सिंह, रुख्सार बानों सहित सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं और बड़ी संख्या में बच्चे उपस्थित रहे। उनकी सहभागिता ने यह संदेश स्पष्ट किया कि बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में समाज का हर सदस्य अपनी भूमिका निभा सकता है।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस जैसे कार्यक्रम यह याद दिलाते हैं कि रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर है। पेट के कीड़ों जैसी समस्याएं छोटी लग सकती हैं, लेकिन अगर इन्हें नज़रअंदाज़ किया जाए तो यह बच्चों के पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, यह जिम्मेदारी हम सभी की है कि ऐसे स्वास्थ्य अभियानों को सफल बनाने में अपना योगदान दें — ताकि हमारे बच्चे न केवल पढ़ाई में अव्वल हों, बल्कि स्वास्थ्य में भी सबसे आगे रहें। समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए अयोध्या, उत्तर प्रदेश से पत्रकार ज़मीर आलम की रिपोर्ट 
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