विद्यालय में बच्चों को न केवल दवा दी गई, बल्कि पेट के कीड़ों (कृमियों) के खतरों और उनके रोकथाम के उपायों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। प्रभारी प्रधानाध्यापक एम.ए. इदरीशी ने बच्चों को समझाया कि यह दवा साल में दो बार — अगस्त और फरवरी में — जरूर लेनी चाहिए। कारण स्पष्ट है: पेट के कीड़े शरीर में चुपचाप नुकसान करते हैं। ये लीवर पर हमला कर सकते हैं और पेट दर्द, भूख की कमी, आंतों में रुकावट, वजन घटने, उल्टी-दस्त, और चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का कारण बनते हैं। यही नहीं, इनकी वजह से बच्चों का पढ़ाई में मन भी नहीं लगता।
एल्बेंडाजोल क्यों जरूरी है?
सीएचसी मया बाज़ार के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर मोहम्मद आज़म के अनुसार, एल्बेंडाजोल परजीवियों, खासकर टेपवर्म, को खत्म करने में कारगर है। यह परजीवियों को मारकर शरीर को संक्रमण से मुक्त करता है। इसे लेने का तरीका भी महत्वपूर्ण है — गोली को हमेशा चबाकर खाएं और बाद में एक गिलास पानी जरूर पिएं।
सरकारी पहल और सामूहिक प्रयास
कार्यक्रम में सहभागिता
इस अवसर पर विद्यालय के अनुशासित शिक्षक मास्टर राहत अली सलमानी, चन्द्रशेखर इंटर कॉलेज गौहनियाँ बन्दनपुर के प्रबंधक रामतिलक शर्मा, रामप्रकाश सिंह, संदीप तिवारी, विनय कुमार, अखिलेश गौड़, सचिन सिंह, रुख्सार बानों सहित सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं और बड़ी संख्या में बच्चे उपस्थित रहे। उनकी सहभागिता ने यह संदेश स्पष्ट किया कि बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में समाज का हर सदस्य अपनी भूमिका निभा सकता है।
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