"जब रिश्तों का जश्न जंग में बदल गया: कन्नौज में महापंचायत के बीच चले जूते, घायल हुई शिवानी"

✍️ समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका से ज़मीर आलम की रिपोर्ट


कन्नौज (उत्तर प्रदेश)।
कहते हैं विवाह दो आत्माओं का पवित्र बंधन होता है। लेकिन जब इस बंधन में खटास आ जाए, तो घर का आंगन भी कभी-कभी रणभूमि बन जाता है। ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला कन्नौज में, जहाँ प्रशांत और शिवानी के बिगड़ते रिश्ते को सुलझाने के लिए दोनों परिवारों ने एक गेस्ट हाउस में महापंचायत रखी थी। पर नतीजा सुलह नहीं, बल्कि संघर्ष निकला।

🔸 छह महीने का रिश्ता, लेकिन सालों जितनी दरार

प्रशांत और शिवानी की शादी को अभी केवल छह महीने ही बीते थे। शादी के शुरुआती दिन प्रेम और समझदारी से भरे थे, लेकिन समय के साथ दोनों के बीच मतभेद गहराते चले गए। आरोप-प्रत्यारोप, लड़ाई-झगड़े और घरवालों की दखलअंदाज़ी ने स्थिति को इतना बिगाड़ दिया कि मामला पंचायत तक पहुँच गया।

🔸 पंचायत बनी जंग का मैदान

स्थानीय गेस्ट हाउस में आयोजित हुई इस महापंचायत में दोनों पक्षों के रिश्तेदार, बुजुर्ग और समाज के लोग शामिल हुए थे। बातचीत शुरू हुई तो उम्मीद थी कि कोई समाधान निकलेगा। लेकिन जब बात आरोपों और गालियों तक पहुँची, तो एक पक्ष के सदस्य ने अचानक जूता फेंककर मार दिया, और वहीं से हंगामा शुरू हो गया

कुछ ही मिनटों में गेस्ट हाउस का हॉल मैदान ए जंग में बदल गया। कुर्सियां चलीं, पानी की बोतलें फेंकी गईं, और गालियों का अंबार लग गया। महिलाएं चीखने लगीं, बच्चे डर के मारे कोनों में छुप गए। पुलिस को बुलाना पड़ा।

🔸 घायल हुई शिवानी, मामला थाने पहुँचा

इस घटना में शिवानी खुद भी घायल हो गईं, उन्हें हल्की चोटें आईं और तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि गुस्से में धकेलने और धक्का-मुक्की के दौरान शिवानी गिर गईं, जिससे उन्हें सिर और हाथ में चोटें आईं।

अब यह मामला केवल घरेलू विवाद नहीं रहा, पुलिस में भी शिकायत दर्ज की गई है। स्थानीय थाना प्रभारी के अनुसार, दोनों पक्षों से बयान लिए जा रहे हैं और CCTV फुटेज की जांच की जा रही है।


🔹 समाज के लिए सवाल

इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं —

  • क्या पंचायतें वाकई समाधान का माध्यम हैं या विवाद को और भड़काने का जरिया?
  • क्या रिश्तों में समझदारी की जगह अब गुस्सा और अहंकार ने ले ली है?

प्रशांत और शिवानी की कहानी न सिर्फ उनके लिए बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है कि शादी महज रस्म नहीं, जिम्मेदारी है। और जब मतभेद बढ़ें तो संवाद हो, हिंसा नहीं।


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रिपोर्टर: ज़मीर आलम | कन्नौज ब्यूरो | समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

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