उत्तराखण्ड नैनीताल हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला-उत्तराखंड के इन चार दर्जन स्टोन क्रेशरों को तत्काल बंद करने के आदेश, मचा हड़कंप।

नैनीताल-राज्य के स्टोन क्रशरों को लेकर लंबे समय से क्षेत्र वासियों द्वारा जनहित याचिकाएं दायर की जाती रही है, साथ ही सरकार द्वारा भी कई बार उन्हें लेकर कई सख्त निर्णय सामने आए, परंतु अब तक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय नहीं आया था। 
आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार की गंगा नदी में अवैध खनन संबंधी जनहित याचिका में अवैध रूप से चल रहे 48 स्टोन क्रशरों को तुरंत बंद करने के आदेश दिए हैं। 

मातृ सदन की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 12 सिंतबर के लिए तय की है। उच्च न्यायालय ने अवैध खनन संबंधी मातृ सदन की एक जनहित याचिका पर 3 मई को सुनवाई करते हुए स्टोन क्रेशर बन्द करने के आदेश दिए थे, लेकिन इस आदेश के बावजूद क्रेशर संचालित होते रहे।

 आज न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि पूर्व के आदेशों की अवहेलना कर रहे इन स्टोन क्रशरों द्वारा संचालन करना कानून का साफ साफ उल्लंघन है। न्यायालय ने हरिद्वार के जिलाधिकारी और एस.एस.पी.को 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल बंद कर उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति भी काटने के निर्देश दिए। खंडपीठ ने इसकी अनुपालन रिपोर्ट शीघ्र न्यायालय में प्रस्तुत करने को कहा है।


मामले के अनुसार, हरिद्वार मातृ सदन ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि हरिद्वार गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। इससे, गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। गंगा नदी में खनन करने वाले ‘नैशनल मिशन कलीन गंगा’ को पलीता लगा रहे हैं। मात्र सदन के स्वामी दयानन्द का कहना है गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए ताकि नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके।

 समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका उत्तराखंड से पत्रकार तसलीम अहमद की रिपोर्ट 
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