✍️ अदब और तहज़ीब की मिसाल बनी सबील-ए-हुसैन: अंजुमन-ए-सज्जादिया कमेटी का आयोजन

📰 रिपोर्ट: शाकिर अली | “समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍स्थान: बिडौली, ज़िला मुज़फ्फरनगर


इस ज़मीन पर जब भी ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की बात आती है, जब इंसानियत को राह दिखाने की बात होती है, तो करबला के शहीदों की यादें दिल और ज़ेहन में जिंदा हो जाती हैं। नौ मोहर्रम के मौके पर बिडौली की सरज़मीं पर अंजुमन-ए-सज्जादिया कमेटी ने इसी ज़िक्र-ए-कर्बला को अदब, तहज़ीब और खिदमत में ढालते हुए सबील-ए-हुसैन का आयोजन कर एक जिंदादिल और इंसानियतपरस्त पहल की मिसाल पेश की।


🍶 राहगीरों के लिए सबील-ए-हुसैन

मेरठ-करनाल हाइवे पर स्थित बिडौली कट पर अंजुमन-ए-सज्जादिया कमेटी की ओर से लगाए गए सबील में राहगीरों को मीठा शर्बत पिलाया गया। इस सबील का नेतृत्व शिया समुदाय के बुज़ुर्ग और पूर्व ग्राम प्रधान बीडीसी सदस्य फज़ल अली उर्फ़ अच्छू मियां ने किया। कर्बला के बहत्तर शहीदों की याद में प्यासों को पानी पिलाना न सिर्फ इबादत का तरीका है, बल्कि यह इंसानियत की उस परंपरा को निभाना है जिसे इमाम हुसैन ने कर्बला में ज़िंदा किया।


🌱 वृक्षारोपण: शहादत की याद में हरियाली का संदेश

इस अवसर पर नौ मोहर्रम को कर्बला परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जो अदब और अमल दोनों का संगम रहा। इमाम हुसैन और उनके वफादार साथियों की शहादत को याद करते हुए पीतम सिंह, फज़ल अली, दानियाल जैदी, हमज़ा जैदी समेत कई समाजसेवियों ने पौधारोपण कर आने वाली नस्लों को जिंदगी, सब्र और बलिदान का संदेश दिया।


🚩 मातमी जुलूस: अली असगर की शहादत को समर्पित

रात दस बजे इमामबाड़ा से एक मातमी जुलूस निकाला गया, जो हज़रत इमाम हुसैन के छह महीने के मासूम फरज़ंद हज़रत अली असगर की शहादत की याद में निकाला गया। यह जुलूस गम, सब्र और मोहब्बत का प्रतीक बना रहा।

जुलूस मार्ग में बाकिर अली, साबिर शाह, सलीम शाह, लियाक़त शाह समेत अनेक लोगों ने सबीलों पर चाय, दूध, शर्बत व खाना वितरित किया। यह आयोजन किसी एक मज़हबी रिवायत का नहीं, बल्कि इंसानियत की साझी विरासत का उदाहरण बन गया।


🌙 जुलूस का समापन: कोठी दरगाह पर

जुलूस विभिन्न गलियों से होता हुआ कोठी दरगाह पर सुबह संपन्न हुआ। शांतिपूर्ण और भव्य जुलूस ने यह सिद्ध किया कि करबला की कहानी आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है, और उसे अदब, तहज़ीब और सलीके से आगे बढ़ाया जा रहा है।


👥 उपस्थित सम्मानित जन

इस आयोजन में जहां एक ओर श्रद्धा और सेवा भाव दिखा, वहीं दूसरी ओर समाज के विभिन्न तबकों की भागीदारी ने इसे एकता का प्रतीक बना दिया। कार्यक्रम में मौलाना ज़ीशान आरिफ (बाराबंकी), मौलाना मोहम्मद वसीम (बहराइच), गुड्डू मियां, कमर अब्बास जैदी, हमज़ा जैदी, सादिक, इस्लाम शाह, फूल मियां, रेहान हैदर, सज्जाद मेहदी, हुसैन अब्बास, हैदर अली, डॉ. बाक़र, शब्बर शाह, नासिर अली, हसन रज़ा, सुजात मेंहदी, मोहम्मद ज़ैदी सहित दर्जनों समाजसेवी मौजूद रहे।


✍️ नतीजा: करबला से तालीम, मोहब्बत से अमल

बिडौली में अंजुमन-ए-सज्जादिया कमेटी द्वारा आयोजित यह आयोजन सिर्फ़ एक रस्म अदायगी नहीं थी, बल्कि यह अदब और तहज़ीब से भरी ऐसी मिसाल थी, जो आने वाली नस्लों को इमाम हुसैन की कुर्बानी, इंसाफ और इंसानियत के उस फलसफे की तालीम देती है, जिसे आज की दुनिया में सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।


📌 समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
#samjhobharat
📞 संपर्क: 8010884848

No comments:

Post a Comment