लेखक: शाकिर अली, विधायक दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों फिर से एक विवाद के केंद्र में है। करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठाकुर योगेंद्र सिंह राणा द्वारा समाजवादी पार्टी की महिला सांसद इकरा हसन पर की गई अमर्यादित और आपत्तिजनक टिप्पणी ने प्रदेश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। यह केवल एक महिला सांसद पर व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक गरिमा और महिलाओं के सम्मान पर एक सीधा प्रहार है।
इस टिप्पणी के खिलाफ जनाक्रोश तेजी से फैल रहा है। राजनीतिक गलियारों से लेकर आमजन और सोशल मीडिया तक तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। खासकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन (AIMIM) पार्टी के जिला अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद इनाम ने इस पूरे घटनाक्रम पर सशक्त प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।
लोकतंत्र की मर्यादा का अपमान
हाफिज इनाम का कहना है कि यह मसला केवल एक महिला का नहीं, पूरे लोकतंत्र और जनप्रतिनिधि संस्था की गरिमा का है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा,
"इकरा हसन के खिलाफ की गई टिप्पणी शर्मनाक और निंदनीय है। यह सिर्फ एक व्यक्ति विशेष का अपमान नहीं बल्कि लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या है।"
उनका यह भी मानना है कि राजनीतिक वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, परंतु व्यक्तिगत मर्यादा का उल्लंघन करना हर दृष्टिकोण से अस्वीकार्य है।
उच्च स्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग
हाफिज इनाम ने प्रशासन से यह भी मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तथा दोषी के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे बयान अनदेखा किए गए, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक उदाहरण बन सकता है।
महिला सशक्तिकरण को चुनौती
जब पूरा देश महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में प्रयासरत है, तब एक महिला सांसद को इस तरह निशाना बनाना यह दर्शाता है कि हमारे समाज में अब भी पितृसत्तात्मक मानसिकता जिंदा है। हाफिज इनाम ने इस सोच का खुलकर विरोध किया और कहा कि AIMIM पार्टी हर स्तर पर महिला अपमान और असभ्य राजनीतिक व्यवहार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी।
निष्कर्ष:
सांसद इकरा हसन पर की गई टिप्पणी मात्र शब्द नहीं थे, वे लोकतंत्र, महिला गरिमा और हमारी राजनीतिक संस्कृति पर काले धब्बे हैं। यह समय है कि समाज एकजुट होकर ऐसी सोच का विरोध करे और साफ संदेश दे कि राजनीति मर्यादा और नैतिकता से ऊपर नहीं हो सकती।
📌 रिपोर्ट: शाकिर अली
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