📞 #samjhobharat | 8010884848
रुड़की, उत्तराखंड —
शिवभक्तों की आस्था और भक्ति से जुड़ी कांवड़ यात्रा, इस बार कई जगहों पर अराजकता और आक्रोश का रूप लेती दिखाई दे रही है। हरिद्वार के बाद अब रुड़की शहर भी इस भीड़ के uncontrolled गुस्से की चपेट में आ गया है।
ताज़ा मामला एक मामूली टक्कर से शुरू हुआ, लेकिन कुछ ही पलों में मारपीट, तोड़फोड़ और सड़क पर हंगामे में तब्दील हो गया।
🚨 लेखपाल की गाड़ी बनी भीड़ का शिकार
घटना तब शुरू हुई जब एक लेखपाल की सरकारी गाड़ी का कांवड़ियों से मामूली टकराव हुआ। घटना की जानकारी मिलते ही भीड़ में मौजूद कांवड़िए आक्रोशित हो उठे और बिना देर किए सड़क पर उतर आए।
गुस्से में उन्होंने सरकारी गाड़ी में जमकर तोड़फोड़ की। इससे भी ज़्यादा चिंताजनक यह रहा कि उन्होंने कई निजी वाहनों को भी नुकसान पहुँचाया, जिससे आम नागरिकों में डर और तनाव फैल गया।
📍 रुड़की शहर में अफरा-तफरी के दृश्य
इस उग्रता का असर सिर्फ एक जगह नहीं रहा। रुड़की शहर के कई इलाकों में मारपीट, धक्का-मुक्की और सड़क जाम जैसी घटनाएं सामने आईं।
स्थानीय व्यापारियों और राहगीरों ने बताया कि एकाएक माहौल भयावह हो गया — जहाँ कुछ ही मिनट पहले लोग पूजा की तैयारी में थे, वहीं अब वे अपनी दुकानों के शटर गिराते और सुरक्षित स्थान की तलाश करते नज़र आए।
👮♂️ पुलिस-प्रशासन के लिए बनी चुनौती
हरिद्वार से लेकर रुड़की तक, कांवड़ यात्रा के दौरान बढ़ती अराजकता कानून-व्यवस्था की परीक्षा ले रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है, और जल्द ही कार्यवाही की जाएगी।
🔍 कांवड़ यात्रा: श्रद्धा बनाम सनक
कांवड़ यात्रा सनातन संस्कृति की एक दिव्य परंपरा है — जहाँ श्रद्धालु गंगा जल लेकर अपने आराध्य शिव को अर्पित करते हैं।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें बढ़ती भीड़तंत्र, डीजे-तांडव, सड़क जाम और अब हिंसा जैसी घटनाओं ने इस
इस बार, जहां एक ओर भक्ति के पथ पर चलने वाले शांत कांवड़िए भी मौजूद हैं, वहीं कुछ ऐसे भी समूह हैं जो इस यात्रा को शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बना बैठे हैं।
📣 प्रशासनिक अपील और सामाजिक जिम्मेदारी
रुड़की प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से शांति बनाए रखने की अपील की है और स्थानीय लोगों से सहयोग की उम्मीद जताई है।
साथ ही पुलिस ने स्पष्ट किया है कि "कानून अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।"
🧭 आगे की राह?
अब समय आ गया है कि समाज, प्रशासन और धार्मिक संगठनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धा का यह महापर्व शांति और मर्यादा का प्रतीक बने, न कि भय और हिंसा का।
कांवड़ यात्रा को व्यवस्थित और अनुशासित करने के लिए ठोस नियम, निगरानी और सामाजिक चेतना का निर्माण आवश्यक हो गया है।
✒️ रिपोर्ट: "समझो भारत" ब्यूरो टीम
📍
No comments:
Post a Comment