📍 मुंबई, महाराष्ट्र
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"शिक्षा के मंदिर में बच्चियों की अस्मिता से खिलवाड़" — महाराष्ट्र के शाहपुर से आई एक अमानवीय और चौंका देने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है।
यह घटना केवल एक विद्यालय की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना पर प्रश्नचिन्ह है। शाहपुर के एक निजी स्कूल में कुछ छात्राओं को केवल इसलिए शारीरिक अपमान का सामना करना पड़ा क्योंकि शौचालय में खून के धब्बे पाए गए थे।
📌 क्या हुआ था?
शाहपुर स्कूल की कक्षा 5 से 10 तक की कई छात्राओं को स्कूल प्रशासन ने पूछताछ के लिए बुलाया। आरोप है कि कई लड़कियों से यह पूछा गया कि क्या उन्हें मासिक धर्म हो रहा है, और कुछ को कथित तौर पर उनके अंडरवियर तक उतारने को मजबूर किया गया — यह सब स्कूल की प्रिंसिपल और प्रशासन की निगरानी में हुआ।
⚖️ पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
शाहपुर पुलिस ने मामले में 8 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिनमें 5 को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें प्रिंसिपल भी शामिल हैं। इन्हें 15 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है, जबकि शेष तीन आरोपियों से पूछताछ जारी है।
🔍 राज्य महिला आयोग की कड़ी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकनकर ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तुरंत शाहपुर का दौरा किया और अभिभावकों से मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट कहा:
"यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि बच्चियों की गरिमा और मानसिक स्वास्थ्य पर हमला है। न्याय त्वरित और निष्पक्ष होगा।"
उन्होंने शिक्षा विभाग और पुलिस को निर्देश दिए कि—
- छात्राओं को बाल कल्याण समिति से परामर्श दिलाया जाए
- स्कूल की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया तेज की जाए
- जांच में तेजी लाकर शीघ्र आरोप पत्र दाखिल किया जाए
- अभिभावकों की शिकायतों को गंभीरता से सुना और संकलित किया जाए
🏫 स्कूल की अनियमितताएँ और प्रशासनिक लापरवाही
शिक्षा विभाग द्वारा की गई जांच में सामने आया कि—
- स्कूल में शिकायत निवारण समिति नहीं है
- "सखी सावित्री समिति" सिर्फ नाम मात्र की है
- प्राचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है
- स्कूल की मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव भेजा गया है
🎓 शिक्षा प्रभावित न हो — संवेदनशील निर्देश
हालांकि आयोग ने यह भी ध्यान दिलाया कि स्कूल की मान्यता रद्द होने से छात्राओं की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए सोमवार से स्कूल के स्वतंत्र संचालन की तैयारी की जा रही है।
💔 अपमान और आघात — कौन जिम्मेदार?
समाज को इस सवाल का जवाब देना होगा कि मासिक धर्म जैसी जैविक प्रक्रिया को शर्म और संदेह का विषय किसने बनाया? बच्चियों को स्कूल जैसी सुरक्षित जगह में भी डर और अपमान क्यों सहना पड़ा? यह सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि हर माता-पिता के विश्वास का टूटना है।
👉 अब समय आ गया है कि स्कूलों में यौन स्वास्थ्य और संवेदनशीलता को शिक्षा का हिस्सा बनाया जाए। बच्चों को समझाया जाए कि मासिक धर्म शर्म नहीं, जीवन का हिस्सा है।
📣 हमारी माँग:
- दोषियों को कड़ी सज़ा मिले
- सभी छात्राओं को काउंसलिंग सुविधा मिले
- स्कूलों में शिकायत निवारण और लैंगिक संवेदनशीलता समितियाँ सक्रिय हों
- हर राज्य में इस तरह की घटनाओं पर शून्य सहिष्णुता नीति लागू हो
🗞️ यह रिपोर्ट समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की ओर से एक आवाज़ है उन तमाम बेटियों के लिए, जिनकी गरिमा से किसी ने खिलवाड़ करने की कोशिश की।
📌 रिपोर्ट: "समझो भारत" ब्यूरो
📍 मुंबई - शाहपुर
📞 संपर्क: 8010884848
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