लेखक: रियासत अली ताबिश
स्थान: कैराना, वार्ड संख्या 17 (नवाब तालाब क्षेत्र)
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क्या यही विकास है? या विनाश की नींव रखी जा रही है?
वार्ड 17, नवाब तालाब क्षेत्र में इन दिनों जो निर्माण कार्य हो रहा है, वह स्थानीय जनता के लिए सुविधा नहीं, बल्कि खतरे की घंटी बनता जा रहा है। पालिका, सभासद और ठेकेदार की तिकड़ी ने जिस तरह से नाले और सड़क का निर्माण शुरू किया है, उसे देखकर अब जनता की नींद उड़ चुकी है।
नाला या जल प्रलय की तैयारी?
यह नाला सड़क से करीब 3 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है, जबकि बगल में बसे अधिकतर मकान 4 फीट नीचे हैं। इसका सीधा मतलब है — बरसात आई नहीं कि घरों में पानी घुसना तय है!
जनता गुस्से में है और सवाल कर रही है कि क्या पालिका और ठेकेदार बाढ़ लाने की तैयारी कर रहे हैं?
कब्रिस्तान भी नहीं छोड़ा गया!
इस क्षेत्र में वर्षों पुराना एक पवित्र कब्रिस्तान मौजूद है। अब उसी कब्रिस्तान की ज़मीन को नाले की ऊंचाई के अनुसार नीचे करने की साज़िश रची जा रही है।
क्या इंसान अब मरने के बाद भी सुरक्षित नहीं?
कब्रें पानी में डूब जाएंगी, यह विकास नहीं, सीधा-सीधा धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ है।
सड़क की चौड़ाई कम, हादसों का खतरा ज़्यादा
जहां एक चौड़ी और साफ सड़क की ज़रूरत थी, वहां सड़क की चौड़ाई जानबूझकर घटाई जा रही है।
इससे रोजाना यातायात में बाधा आएगी — फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस जैसी आपात सेवाएं फंसी रह जाएंगी, और जाम व दुर्घटनाएं आम बात बन जाएंगी।
ठेकेदार अपने मुनाफे की लकीरें खींच रहा है, जबकि जनता रोज़ अपने जीवन को दांव पर लगाए सड़क पार करेगी।
जनता का फूटा गुस्सा
जनता ने कहा:
"नाला बना नहीं, तबाही का नक्शा बन गया!"
"हमारे घर डूबेंगे, लेकिन ठेकेदार की जेबें भरेंगी!"
"पालिका अध्यक्ष और अधिकारी चुप क्यों हैं? क्या ये मिलीभगत नहीं?"
कुछ अनुत्तरित लेकिन ज़रूरी सवाल:
- क्या ठेकेदार और सभासद की जेबें भरने के लिए जनता की ज़िंदगियों से खिलवाड़ हो रहा है?
- क्या पालिका अध्यक्ष और अधिकारी इस निर्माण घोटाले में भागीदार हैं या जानबूझकर आँखें मूंदे बैठे हैं?
- कब्रिस्तान की पवित्र ज़मीन से छेड़छाड़ करने की अनुमति किसने दी?
समझो भारत की 5 सख्त माँगें:
- निर्माण कार्य तत्काल रोका जाए।
- एक स्वतंत्र जांच कमेटी गठित हो।
- जनसुनवाई आयोजित कर जनता की बात सुनी जाए।
- सभासद और ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज हो।
- कब्रिस्तान की पवित्रता और सड़क की चौड़ाई की सुरक्षा की जाए।
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जहां खामोशी नहीं, सच्चाई बोलती है!
रिपोर्ट: रियासत अली ताबिश, संवाददाता, कैराना (शामली)
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