कोरी जाति देगी भाजपा को तगड़ा झटका

आज यदि भारतीय जातियों में कोई सबसे ज्यादा दु:खी व परेशान जाति है तो वह है पश्चिम उत्तर प्रदेश की कोरी जाति। कोरी जाति भारतीय संविधान के जातीय वर्गीकरण में 50 वे नंबर पर अंकित है। 

जिसे अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांव में कोरी जाति निवास करती है। बहुत से गांवों में कोरी जाति के लोगों को हिंदू जुलाहे के नाम से भी जाना जाता है जिनके पूर्वजों का पैतृक व्यवसाय कपड़ा बुनना रहा है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने एवं हाईकोर्ट इलाहाबाद ने अपने कई आदेशों में स्पष्ट कहा है कि हिंदू जुलाहा कोई जाति नहीं है हिंदू इनका धर्म है जुलाहा इनका व्यवसाय । अत: ऐसे तथाकथित लोगों की मूल जाति कोरी हैं जो कि अनुसूचित जाति में आते हैं। लेकिन अनुसूचित जाति का एक विशेष वर्ग के लोग अपनी पैतृक अज्ञानता की वजह से इस जाति की निराधार शिकायतें करते रहते है कि यह लोग हिंदू जुलाहा जाति के लोग हैं जो कि ओबीसी में आते हैं और फर्जी तरीके से आरक्षण का लाभ लेने के लिए कोरी जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाते है। 

हालांकि इन निराधार शिकायतों का कोरी समाज पर कोई फर्क नहीं पड़ता।  अभी पिछले दिनों जनपद बागपत के दो ग्राम प्रधान जो कोरी जाति के है उनके खिलाफ कुछ षड्यंत्रकारी लोगों ने झूठा मुकदमा डायर करवा कर उनको उनके पद से हटवा दिया था ।

 लेकिन हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लेकर सस्पेंड किए गए प्रधानों को पुन: बहाल कर दिया। कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व एमएलसी डॉक्टर मंगल सैन कोरी जी के जाने के बाद यह समाज नेतृत्व विहीन हो गया। हालांकि कई नेताओं ने इस समाज में अपने आप को चमकाने की कोशिश की लेकिन वह जल्द ही धराशाई हो गए। 

बागपत जनपद के कोरी समाज का हाल बहुत बुरा है क्योंकि यहां एक नेता ऐसा है जो समाज के विरोधियों से मिलकर अपने ही समाज के प्रधानों के खिलाफ कार्यवाही करवाता है तथा खुद समाज की वकालत करने के नाम पर लाखों रुपए की उगाही करता है। समाज को उसने व्यापार बना लिया है लेकिन।

अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के कोरी समाज के लोगों ने समाज के गद्दारों और समाज के विरोधियों के खिलाफ कमर कस ली है। जो लोग इस जाति के लोगों के खिलाफ झूठी कार्यवाही करवाते थे अब यह कोरी जाति उन षड्यंत्रकारी लोगों के खिलाफ मानहानि एवं अन्य बहुत सारी धाराओं में मुकदमे दायर करवाएगी । 

दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बहुत सी तहसीलों में तहसीलदार व लेखपाल कोरी जाति के लोगों का जाति प्रमाण पत्र बनाने में भी आनाकानी कर रहे हैं।

 
उत्तर प्रदेश सरकार एवम उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों के बाद भी बहुत से तहसीलदार व लेखपाल कोरी समाज के लोगों का उत्पीड़न कर रहे हैं। तहसीलदार व लेखपाल सीधे-सीधे सरकार के आदेशों का पालन न करते हुए उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना भी कर रहे हैं।


 उत्तर प्रदेश सरकार को कोरी समाज की इस समस्या से अवगत कराया गया है। कोरी समाज पूर्व से ही भाजपा का वोट बैंक रहा है। उत्तर प्रदेश में कोरी जाति की लगभग 23 लाख वोट है। भाजपा में बूथ अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक कोरी जाति के लोग हैं लेकिन सरकार उनकी कोई भी सुनवाई नहीं कर रही है।

 कोरी समाज के लोगों का कहना है कि यदि इस जाति के जाति प्रमाण पत्रों की समस्या का समाधान नहीं होता तो इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा को झटका लगना तय है। जाति प्रमाण पत्रों की यह समस्या इस समाज के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है क्योंकि इस समाज के नवयुवक बहुत सारी सरकारी नौकरियों से वंचित हो रहे हैं क्योंकि कोई भी युवा यदि कहीं सरकारी नौकरी का आवेदन करता है तो उसमें जाति प्रमाण पत्र मांगा जाता है। लेकिन इस जाति के शिक्षित नवयुवकों के पास पुराने जाति प्रमाण पत्र तो हैं लेकिन नए जाति प्रमाण पत्र नहीं है। 

तहसीलों में लेखपाल द्वारा उनकी जाति हिंदू जुलाहा बताकर जाति प्रमाण पत्रों के आवेदन निरस्त किए जा रहे है। कोरी समाज के तेजतर्रार नेता माननीय श्री मोहनलाल कोरी जिनको पश्चिम उत्तर प्रदेश का नेता बनने के कयास लगाए जा रहे हैं ने इस समस्या का समाधान करवाने का समाज को आश्वासन तो दिया है लेकिन देखते हैं अब आगे क्या होता है।

*कोरी जाति: एक परेशान समुदाय*

उत्तर प्रदेश की कोरी जाति एक ऐसा समुदाय है जो वर्षों से अपनी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। इस समुदाय के लोग मुख्य रूप से पश्चिम उत्तर प्रदेश में रहते हैं और इनका पारंपरिक व्यवसाय कपड़ा बुनना रहा है। हालांकि, समय के साथ इस समुदाय के लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन अभी भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

*समस्या की जड़*

कोरी जाति के लोगों की मुख्य समस्या यह है कि उन्हें अनुसूचित जाति के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बावजूद भी कई जगहों पर हिंदू जुलाहा के नाम से जाना जाता है। इससे उनके जाति प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी होती है और वे सरकारी नौकरियों और अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं।

*सरकारी और न्यायिक निर्देश*

उत्तर प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कई आदेशों में स्पष्ट किया है कि हिंदू जुलाहा कोई जाति नहीं है, बल्कि यह एक व्यवसाय है। इसके बावजूद भी कई तहसीलों में तहसीलदार और लेखपाल कोरी जाति के लोगों का उत्पीड़न कर रहे हैं और उनके जाति प्रमाण पत्रों के आवेदन निरस्त कर रहे हैं।

*राजनीतिक महत्व*

कोरी जाति का उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। इस जाति के लगभग 23 लाख वोट हैं और भाजपा में बूथ अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक कोरी जाति के लोग हैं। लेकिन सरकार उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है, जिससे इस बार के चुनावों में भाजपा को झटका लग सकता है।

*निष्कर्ष*

कोरी जाति की समस्याओं का समाधान करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। इस समुदाय के लोगों को उनके अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष करना होगा और सरकार को भी उनके प्रति संवेदनशील होना होगा। तभी इस समुदाय के लोगों को उनका हक मिल पाएगा और वे समाज में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे। समझो भारत से डॉ0 नीरज 

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