मुजफ्फरनगर। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मुजफ्फरनगर की दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनी मेरठ रोड पर बने फ्लैटों में लाभार्थियों को तो छत नसीब हो गई, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव ने उनके जीवन को नारकीय बना दिया है। बरसात शुरू होते ही कॉलोनी में जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है, जिससे यहां भारी जलभराव की स्थिति बन गई है। यह न केवल फ्लैटों को घेर चुका है, बल्कि लोगों का बाहर निकलना तक दूभर हो गया है।
बारिश का पानी सीधा मकानों के बाहर जमा हो गया है, गलियों में कीचड़ और गंदगी का अंबार लगा है। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सभी जलजमाव के बीच से गुजरने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और नगर निगम को कई बार शिकायतें कीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आलम यह है कि कुछ लाभार्थी तो मजबूरी में घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां शरण लेने को मजबूर हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से बने इन फ्लैटों में केवल कागजों पर सुविधाएं दर्शाई गईं, जबकि हकीकत में यहां पानी की निकासी, सड़क, सफाई और नालियों जैसी मूलभूत व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है।
लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही जलनिकासी की स्थायी व्यवस्था नहीं की गई तो वे सामूहिक रूप से प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। वहीं, जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
यह हालात केवल एक कॉलोनी की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं — क्या सरकारी योजनाएं सिर्फ कागज़ी उपलब्धियों तक ही सीमित हैं? जब लाभार्थी बुनियादी सुविधा से भी वंचित हों, तो ऐसी योजनाओं का क्या औचित्य ?.. "समझो भारत" से पत्रकार गुलवेज आलम
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