नौकरी चली गई… और थम गई एक ज़िंदगी — मेरठ में आदित्य की आत्महत्या की मार्मिक दास्तान

मेरठ — जीवन की जद्दोजहद में जब हौसले हार जाते हैं और उम्मीदें टूटने लगती हैं, तब इंसान भीतर से बिखरने लगता है। कुछ ऐसा ही हुआ मेरठ के ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के सरस्वती लोक में रहने वाले 24 वर्षीय युवक आदित्य सिंह के साथ, जिसने नौकरी छूटने के कारण गहरे डिप्रेशन में आकर अपनी जान दे दी।

जिंदगी से जंग हार गया आदित्य

सरस्वती लोक में एक शांत सी रात, अचानक चीखों और अफरा-तफरी में बदल गई जब खबर फैली कि आदित्य ने आत्महत्या कर ली है। मूल रूप से शास्त्री नगर में अपने माता-पिता के साथ रहने वाला आदित्य, नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत था। लेकिन लगभग पांच महीने पहले उसकी नौकरी छूट गई, जिससे वह मानसिक तनाव में चला गया।

परिवार के अनुसार, आदित्य काफी समय से अवसाद में था, लेकिन उसने कभी खुलकर किसी से बात नहीं की। सोमवार की रात, वह अपनी दादी को शास्त्री नगर में छोड़कर उनके ही घर सरस्वती लोक लौटा। ऊपर के कमरे में अकेले था, जबकि नीचे मंजिल पर उसके मौसा कैलाश मौजूद थे।

अचानक टूटा सन्नाटा

जब मौसा कैलाश ने दरवाजे पर आदित्य को फंदे पर लटका देखा तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने तुरंत परिवार और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, नमूने जुटाए और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया

इस घटना के बाद पूरे मोहल्ले और परिवार में कोहराम मच गया है। कोई भी यह विश्वास नहीं कर पा रहा कि आदित्य, जो देखने में शांत और संयमी लगता था, भीतर से इतना टूटा हुआ था कि उसने आत्मघाती कदम उठा लिया।


क्या डिप्रेशन को समझ पा रहा है हमारा समाज?

आदित्य की मौत सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — डिप्रेशन और मानसिक तनाव को नजरअंदाज न करें। नौकरी जाना किसी की पहचान खत्म नहीं करता, लेकिन जब इंसान खुद को अकेला और असफल महसूस करता है, तो ये भावनाएं उसे कगार तक ले जा सकती हैं।

इस घटना से यह साफ़ है कि मानसिक स्वास्थ्य आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। परिवार, समाज और सरकारी संस्थाओं को चाहिए कि नौजवानों के मनोबल को बनाए रखने के लिए जागरूकता, सहयोग और सहायता के ठोस कदम उठाए जाएं।


अंत में...

आदित्य चला गया, लेकिन उसके जाने का कारण हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। क्या हम अपने आसपास के लोगों को समझ रहे हैं? क्या हम उनके दुःख को सुनने का वक्त निकाल रहे हैं?

ज़रूरत है कि हम संवेदनशील बनें, समझने की कोशिश करें और सबसे बढ़कर — "हमें बात करनी होगी"।


🕯️

श्वर आदित्य की आत्मा को शांति दे और परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करे।
अगर आप या आपके जानने वाला कोई डिप्रेशन में है, तो कृपया किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।


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📍 स्थान: सरस्वती लोक, मेरठ
🗓️ तारीख: 23 जून 2025


लेखक संपर्क: मनीष सिंह, संवाददाता

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