Mock Drill in Uttar Pradesh: भारत-पाक तनाव के बीच अगर युद्ध जैसे हालात बनते हैं तो इसके लिए देश कितना तैयार है यह परखने के लिए 7 मई को पूरे देश में यूपी के 19 जिलों सहित 244 जिलों में मॉक ड्रिल की जाएगी. इस दौरान ब्लैक आउट होगा और सायरन बजेगा...लखनऊ: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एहतियातन देशभर में अभूतपूर्व मॉक ड्रिल कराने का फैसला लिया है. 7 मई को देश के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी. उत्तर प्रदेश में 19 जिलों को चिन्हित किया गया है, जहां युद्ध जैसे हालात में आम नागरिकों की सुरक्षा और आपातकालीन जैसी स्थिति में तैयारियों की परख की जाएगी.डीजीपी प्रशांत कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार को केंद्र से निर्देश प्राप्त हुए हैं और सभी संबंधित एजेंसियों को मॉक ड्रिल के आयोजन के लिए तैयार रहने के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह मॉक ड्रिल आम जनता को युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने की रणनीति सिखाने के लिए है. इसमें सिविल प्रशासन, पुलिस, अग्निशमन विभाग, आपदा प्रबंधन बल समेत तमाम एजेंसियां हिस्सा लेंगी.
बी श्रेणी: आगरा, प्रयागराज, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बक्शी का तालाब, मुगलसराय और सरसवा
सी श्रेणी: बागपत, मुजफ्फरनगर
इससे पहले लखनऊ पुलिस लाइन में इसका पूर्वाभ्यास किया गया, जिसमें सायरन बजाने, आग बुझाने, घायलों को मेडिकल सहायता केंद्र तक पहुंचाने और ब्लैकआउट की प्रक्रिया का अभ्यास किया गया. अधिकारियों ने बताया कि मॉक ड्रिल के दौरान रात 7 बजे से 2 घंटे का ब्लैकआउट किया जाएगा,
इस मॉक ड्रिल के दौरान रात 7 बजे से 2 घंटे का ब्लैक आउट यानी पूरी तरह से अंधेरा कर दिया जाएगा. इसका मतलब है कि इस दौरान सभी को घरों, संस्थानों और सड़कों की लाइटें बंद हो जाएंगी, ताकि दुश्मन की नजर से बचा जा सके. इसके साथ ही चेतावनी के तौर पर सायरन बजाए जाएंगे. सायरन सुनते ही लोगों को सतर्क होकर सुरक्षित स्थानों-जैसे बंकर, सुरक्षित कमरे में चले जाना होगा या खुले स्थान से दूर रहना होगा. 1971 के बाद यह पहली बार है जब देशव्यापी स्तर पर युद्ध से जुड़ी मॉक ड्रिल कराई जा रही है. सिविल डिफेंस के जवान न केवल खुद प्रशिक्षण ले रहे हैं, बल्कि आम नागरिकों को भी जागरूक करने का बीड़ा उठाए हुए हैं. प्रशासन का कहना है कि यह तैयारी महज अभ्यास नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जन सहभागिता को मजबूत करने का एक बड़ा प्रयास है.
समझो भारत न्यूज से पत्रकार गुलवेज आलम की रिपोर्ट
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