हो मुबारक तुम्हें दुनिया की बहारें लोगों,मेरे हिस्से में ये गूलर की हवा रहने दो

पिरान कलियर। हजरत मख्दूम साबिर पाक के 756 वें उर्स के मौके पर परम्परागत आल इंडिया नातिया मुशायरा खानकाह  उस्मानी राही गेस्ट हाउस में पानीपत दरगाह मख्दूम जलालुद्दीन कबिरुल औलिया के सज्जादा नशीं शाह निसार अहमद उस्मानी की सदारत में हुआ,जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने शिरकत की।मुशायरा संयोजक व उर्स कमेटी के महासचिव अंतरराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी ने अध्यक्ष व मुख्य अतिथि का स्वागत किया । इस अवसर पर उर्स कमेटी के सदस्यों रियाज़ कुरैशी,नईम सिद्दीकी एड०,खिसाल उस्मानी,इमरान देशभक्त,कमाल उस्मानी,आकिब जावेद सलमानी,सलमान फरीदी,सैयद नफीसुल हसन,जमाल उस्मानी,अहमद कादरी, अब्दुल कुद्दुस ने अतिथियों का इस्तकबाल किया।

 नातिया मुशायरे में मलेरकोटला पंजाब से आये मशहूर शायर जमीर अली जमीर ने मोहम्मद साहब की शान में पढ़ा कि,,,

तूने उन लोगों के हक में भी दुआएं मांगी,
जो तेरी राह में कांटे थे बिछाने वाले,,

संयोजक अफजल मंगलौरी ने फरमाया कि,,,

हो मुबारक तुम्हें दुनिया की बहारें लोगों,
मेरे हिस्से में ये गूलर की हवा रहने दो,,

उस्ताद शायर अफरोज टांडवी ने पढ़ा कि,,,,,

इस दर पे आ के कोई मजहब नहीं बताता,
है एकता का जलवा साबिर तेरी गली में,,

कार्यक्रम का संचालन कर रहे उस्मान कैरानवी ने फरमाया कि,,,,,

मिलती है उसी दर से फकीरों को भी शाही,
तू ठोकरें खायेगा कहाँ मांग अरे मांग,,

कांधला से पधारे मशहूर शायर डॉ०जुनेद अख्तर ने यू बयान किया कि,,,,,

नूरे खुदा कहूँ कि ज़हूरे खुदा कहूँ,
हैरान हूं जमाले मोहम्मद को क्या कहूँ,,

इसके अलावा जावेद आसी, राशिद देवबंदी, नफीसुल हसन आदि ने भी कलाम पेश किये। अंत में संयोजक शायर अफ़ज़ल मंगलौरी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

पिरान कलियर से तसलीम अहमद की ख़ास रिपोर्ट...
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