माहे रमज़ान का पहला जुमा अकीदत के साथ हुआ सम्पन्न

बिडोली शामली* । शुक्रवार को गांव बिड़ोली सादात में माहे रमज़ान का पहला जुमा बड़ी मस्ज़िद इमामिया व अन्य मस्जिदों में दुआओं व अकीदत के साथ संपन्न हुआ। इससे पहले खुतबे ए जुमा बयान किया गया जो मोलाना ऑन मोहम्मद ने बयान किया उन्होने कहा कि रोजे के मायने सिर्फ भूखा रहना नहीं है बल्कि कदमों और हाथों को गलत काम की तरफ बढ़ने से रोकना, जुबान को गलत कहने, आंखों को गलत देखने और कानों को गलत सुनने से रोकना भी रोजे का हिस्सा है और दिल में गलत ख्याल आने से रोज़ा बातिल हो जाता है,
माहे रमजान और रोज़ा इंसान को सब्र, शुक्र और अपने आसपास मौजूद जरूरतमंदों की फिक्र सिखाता है। रोजा रखने के मायने सिर्फ भूखा या प्यासा रहना नहीं, बल्कि किसी जरूरमंद की भूख और प्यास की शिद्दत को महसूस करना है। समाज के कमजोर लोगों को उनके हिस्से की रकम जकात फितरा पहुंचाकर उन्हें जिंदगी की आसानियां भी रमजान माह मुहैया कराता है। कुरआन ए पाक के नाजिल  होने वाले इस महीने में इबादत नमाज और तिलावत ए कुरआन  पाक करना ही इस महीने की सच्ची अकीदत है।
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