खुर्शीद आलम 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होकर मंगलवार की दोपहर झिंझाना वापिस पहुंचे तो कस्बे के लोगों ने उनका फूलमाला डालकर जोरदार स्वागत किया।

झिंझाना। हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक बन चुके झिंझाना निवासी खुर्शीद आलम पिछले सोमवार को कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर से कलश में जल भरकर गीता संस्थानम से महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञाननंद जी की प्रेरणा से अयोध्या के लिए गए थे। खुर्शीद आलम 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होकर मंगलवार की दोपहर झिंझाना वापिस पहुंचे तो कस्बे के लोगों ने उनका फूलमाला डालकर जोरदार स्वागत किया। 
   खबर के अनुसार कस्बा निवासी खुर्शीद आलम हरियाणा हज कमेटी के पूर्व मीडिया समन्वयक भी है। वह महामंडलेश्वर गीता मनीष स्वामी ज्ञाननंद महाराज से प्रभावित है। यही कारण है कि वह नमस्कार, सलाम के बजाय अभिवादन भी जय श्री कृष्ण से करते हैं। खुर्शीद आलम नमाज भी पढ़ते हैं और स्वामी ज्ञानानंद जी के कार्यक्रम में भी सहभागिता करके कृष्ण भक्ति के रंग में भी रंगे नजर आते हैं। यहां तक कि वह ईद मनाते हैं तो नवरात्र का व्रत भी रखकर मां शेरावाली के भजन गा लेते हैं। हाड़ कंपाती सर्दी के बीच खुर्शीद आलम ने मोटरसाइकिल से अयोध्या पहुंचने का रूट प्लान तैयार किया था। उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत कुरुक्षेत्र के गीता ज्ञान संस्थानम से शुरू की। हिंदू मुस्लिम एकता और भाईचारे का संदेश देते हुए करीब 800 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर अयोध्या नगरी पहुंचे। साथ ले जाएं गये जल को समर्पित कर मंगलवार की दोपहर झिंझाना वापस पहुंचे। झिंझाना पहुंचने पर खुर्शीद आलम का कस्बे के लोगों ने फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया।
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