मिली जानकारी के अनुसार
मजलिस मे मौलाना आबिद हुसैन ने तिलावत की। वहीं मोलाना सय्यद नकी हैदर नक़वी ने कहा कि हुज़ूर ए अकरम हज़रत मोहम्मद ने फ़रमाया था कि बेटियां मां बाप के लिए जिगर का टुकड़ा होती हैं बेटी एक जिगर का टुकड़ा है, वह हज़रत फ़ातमा ज़ेहरा की ताज़ीम भी करते थे,
मौलाना सय्यद नकी हैदर ने कहा कि चौदह सौ साल पहले बेटियां अरब में जहालत का दौर था और वहां बेटियों को ज़िंदा दफ़न कर दिया जाता था फिर जब नबी-ए-करीम दुनिया में तशरीफ़ लाए तब जाकर लोगों ने अपनी बेटियों को इज़्ज़त की नज़र से देखा और उनकी इज़्ज़त करने लगे।
बाद में बीबी फ़ातमा ज़ेहरा के मसाएब बयान किए गए सोगवार रोते रहे मौलाना बयान करते रहे। रात्रि में शब्बेदारी तथा मातमदारी की। जिसमें बिड़ौली सादात की अंजुमन सज्जादिया ने सीनाजनी की मजलिस में कमर अब्बास ज़ैदी, नफीस शाह हाशिम शाह सय्यद वसी हैदर, ने नौहाखानी की वहीं शौकीन हुसैन सय्यद मिन्हाल मेहदी ने अपना मंज़ूम कलाम पेश किया।
सय्यद औसाफ़ अली सय्यद हिलाल मेहदी सय्यद अली रज़ा ने सोज़खवानी की,अंत में मौलाना सय्यद नकी हैदर नक़वी ने देश में अमन शांति अमनोअमन क़ायम रहे दुआ कराई।
मजलिस रात्रि एक बजे तक चली। मजलिस में सलीम, शाह ज़िंदा शाह, अज़ीम शाह, मोहर्रम अली, हामिद हुसैन, साजिद हुसैन, शाहिद शाह,सज्जाद मेहदी, आफताब मेहदी, फ़राज़ मेहदी, समर रज़ा,मोहम्मद अली, कादिर अली, नासिर अली, नियाज़ हैदर, रेहान हैदर,अली जॉन, अब्बास,हसन रज़ा, आगाज़,इक़बाल हैदर, अख्तर हुसैन, आदि मौजूद रहे।
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