कस्बे में साप्ताहिक अवकाश मजाक बनकर रह गया है। अधिकतर दुकानें खुली रहती हैं।प्रशासनिक अधिकारी भी नाम मात्र कार्र


वाई कर लौट जाते हैं। जिसके बाद फिर से दुकाने खुल जाती हैं।

     लोक डाउन के बाद कस्बे में साप्ताहिक अवकाश लागू किया गया था। साप्ताहिक बंदी को ठेंगा दिखाते हुए दुकानदारों ने कभी भी पूर्ण रूप से बाजार बंद नहीं किया। यदा-कदा अधिकारियों द्वारा चेकिंग भी नाम मात्र कर इतिश्री कर ली गई। सोमवार अवकाश के दिन भी कस्बे की ज्यादातर दुकानें खुली रहती है।

कुछ दुकानदारों का कहना है कि यह छोटा कस्बा है। यहां पर ग्राहकों का पहले से ही टोटा है। ऊपर से सप्ताह में दुकान बंद करने का आर्डर है। डर और भय के बीच दुकान खोलना मजबूरी है। कस्बे में फिर भी 20 परसेंट दुकानदार बंदी का पालन करते हैं।         संवाददाता धर्मेंद्र सिंह  समझो भारत

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