योगी राज में निरकुंश हुए अधिकारी महज दिखावे की शक्ति, मनमर्जी पर उतारू है सभी अधिकारी और कर्मचारी : उपेंद्र चौधरी


योगी राज में जहां आज भाजपा के द्वारा यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा है कि योगी राज में किसी भी भ्रष्टाचारी एवं अवैध कब्जा धारी को बख्शा नहीं जाएगा वही टिकैत ब्रिगेड के महासचिव व कुंडू का उत्तर प्रदेश के चौधरी/ बाबा उपेंद्र चौधरी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाए कि  योगीराज में निरंकुश हुए अधिकारी महज दिखावे की है शक्ति मनमर्जी पर उतारू है सभी अधिकारी और कर्मचारी, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का खुलेआम मखौल उड़ाया जा रहा है

नहीं तो समय पर जवाब दिया जाता और ना ही विभागों में जन सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी के नाम ही सूचना पट पर अंकित है ।  नए नए अधिकारी समय पर अपने कार्यालय में भी नहीं बैठते , और सबसे बड़े अफसोस की बात यह है कि  जनसुनवाई पोर्टल संपूर्ण समाधान दिवस आदि में आम जनता की समस्या के समाधान के दावे भरने वाली सरकार एवं जिले के उच्च अधिकारी केवल जनसुनवाई पोर्टल पर समाधान दिवस इन सब के लिए मखोल मात्र बनकर रह गया

अधिकारी केवल अपने नफे नुकसान के अनुसार ही निर्धारित करते हैं कि करना क्या है अधिकारियों कर्मचारियों की अवैध का जरिया बन गई है आज के समय में जिसकी शिकायत करो उसी को सौंप दी जाती है जांच अब कैसे मिले फरियादियों को इंसाफ उदाहरण के तौर पर बताना चाहूंगा कि जहां बाबा का बुलडोजर पूरी में गजरा है वही शिकायतों की संख्या बताने  बैठे तो शायद काफी समय लग जाएगा, काम की टिटोली के तालाब जिसका खसरा संख्या 717 पर अनेकों ग्रामीणों द्वारा अवैध कब्जा किया गया है लेकिन आज तक नहीं  कोई कार्रवाई, जिला तो क्या प्रदेश का भी ऐसा कोई अधिकारी नहीं छोड़ा, जहां शिकायत की जा सकती हो और की ना गई हो लेकिन नहीं हुई आज तक कोई कार्यवाही क्योंकि डीएम हो गया सीएम सब पर भारी है

लेखपाल अवैध कब्जा धारकों से पैसे लेकर झूठी एवं मन  मनगढ़त, लेखपाल की भी शिकायत करो उसकी जांच भी उसी को सौंप दी जाती है इतना ही नहीं गांव में बंजर भूमि तालाब चारागाह की भूमि, बच्चा शमशान ,नवीन परती की भूमि, तथा हरिजन शमशान, एवं रास्तों पर भी अतिक्रमण नहीं पूर्णता कब्जे किए गए हैं लेकिन उसके बावजूद भी बाबा के बुलडोजर की ठिठोली की तरफ आने में निकल जाती है हवा ऐसा क्यों बाबा के बुलडोजर पर भारी है कागज के चंद टुकड़े और इनमें इनमें केवल लेखपाल ही नहीं कुछ अधिकारी भी शामिल है

अनेक लेखपाल की हिम्मत नहीं हो सकती कि वह शिकायतों को इस तरह दबा सके अब सबसे बड़ा सवाल आया कि टिटौली गांव  में ही ऐसी भूमि पर पानी की टंकी बनाई जा रही है जिस खसरा संख्या पर कोई रास्ता भी नहीं है अब इससे बड़ी विडंबना देखिए क्या होगी की टंकी का ऑपरेटर कहां से गुजरेगा आखिर किसने किया प्रस्ताव और कैसे लग रही है वहां टंकी यह भी एक जांच का विषय है।

यह तो बात रही राजस्व विभाग की राजस्व विभाग की अब बात करें तो स्वास्थ्य विभाग की तो जनपद शामली को उड़ता पंजाब की तर्ज पर ले जाना चाहते हैं स्वास्थ्य विभाग में ट्रक से भांग वृक्ष,  ड्रग्स की संबंधित विभाग को अनेकों बार शिकायत की जाती है।

शामली के डॉक्टर के संरक्षण वह ग्राम टिटौली निवासी नशा मुक्ति केंद्र संचालक की देखरेख में जनपद में फल-फूल रहा है नशीली दवाओं एवं प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार जब जब खबरें प्रकाशित होती है।

तब तक काम की स्पीड धीमी कर दी जाती है और पैसे के दम पर काम स्टार्ट कर दिया जाता है आखिर उच्च अधिकारी आने वाली युवा पीढ़ी को क्या देना चाहते हैं साफ सुथरा वातावरण या फिर नशीली दवाओं का कारोबार लेकिन आज हर कोई अपना ईमान बेच कर बैठा है।

यही हालत है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हमारे जनपद में भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कोई कार्य नहीं बना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर कार्यालय से ही हमारे जनपद में देखने की जाती है लेकिन प्रदूषण की इतनी बुरी हालत है कि केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अपनी जेब भरने तथा पत्र लिखने की नौटंकी करने के अलावा कुछ नहीं कर पाती यदि कोई ज्यादा ही शिकायतें करता है

तो उसके पत्रों में पत्र बस पत्र थमा दिए जाते हैं और हर बार कहा जाता है कि कार्रवाई चल रही है कार्यवाही चल रही है और प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां खुलेआम चलती रहती है अब इसे आप क्या कहेंगे क्या यही योगी सरकार की सच्चाई है । खनन का तो जिक्र करना ही मानो गुनाह है और खनन में चल रही लूट की किसको जानकारी नहीं है नेता हो या अधिकारी हर कोई लगा है

अपनी जेब भरने में खनन का खेल इतना बड़ा हो गया है कि अधिकारी चाह कर भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाते यहां तो अधिकारी कार्रवाई करने के मूड में ही नहीं है अब इसे योगी सरकार की शक्ति कहिए या फिर योगी राज में निरंकुश हुए अधिकारी महज दिखावे की शक्ति मनमर्जी पर उतारू है सभी अधिकारी और कर्मचारी यह साबित करने के लिए इतने दिए गए उदाहरण काफी है अब देखना यह होगा कि जिले के अधिकारी के अनुसार उदाहरणों के बाद भी जागते हैं कि नहीं या फिर वही होता है

ढाक के तीन पात चौथा लगा ना  पांचवे की आस, यूं तो सरकार के लोग भी अधिकारी भी बड़े-बड़े दम भर रहे हैं कि उनके द्वारा जनहित के अनेकों काम किए जा रहे हैं जिस काम के लिए हमारे जनपद के पूर्व जिलाधिकारी भारत सरकार से अवार्ड तक प्राप्त कर चुके हैं कि जनपद को खुले में शौच मुक्त कर दिया गया है सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात है आज तक भी जनपद खुले में शौच करने वालों से मुक्त नहीं हुआ है यह हालात आप किसी भी गांव में जाकर देख सकते हैं।

इससे भी बड़ा उदाहरण देखने को मिला बाल विकास विभाग में जिस जिला कार्यक्रम अधिकारी संतोष कुमार श्रीवास्तव को मिलना चाहिए तक कठोर दंड उसको जिलाधिकारी सामने द्वारा दे दिया जाता है प्रशंसा पत्र,  उप जिला कार्यक्रम अधिकारी के कार्यकाल में आंगनवाड़ी भर्ती घोटाला अपने चहेते दलालों को लाइट लगने से पहले पीडीएफ फाइल देकर गांव गांव घुमा दिया जाता है

आंगनवाड़ी से प्रतिमाह वसूली जाती है पैसे और अपनी मुख्य सेविकाओं को नियमों अनुसार नहीं करते तबादला अन्य मुख्य सेविकाओं का कर देते हैं

तबादला 100 से ज्यादा शिकायतें हैं उनके कार्यकाल में बनी आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत भी किसी से छिपी नहीं है

लेकिन ऐसे में जिला अधिकारी सामने द्वारा इनको दिया जाना प्रशस्ति पत्र इस बात का गवाह है कि अधिकारी कर्मचारी अपनी मनमानी पर लगे हैं।

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