पत्रकारिता का मूल कार्य होना चाहिए प्रज्ञावान लोगों को और उसकी प्रज्ञा को प्रकट करना


पत्रकारिता व्यवसाय नहीं,एक क्रांति होनी चाहिए.बुनियादी रूप से पत्रकार एक क्रांतिकारी व्यक्ति होता है,जो चाहता है कि यह दुनिया बेहतर हो । वह एक युयुत्स है और उसे सम्यक कारणों के लिए लड़ना है । मैं पत्रकारिता को अन्य व्यवसायों में से एक नहीं मानता । मुनाफा ही कमाना हो तो ढेर सारे व्यवसाय उपलब्ध हैं । कम-से-कम कुछ तो हो जो मुनाफे के उद्देश्य से अछूता रहे । तभी यह संभव होगा कि तुम लोगों को शिक्षित कर सको । जो गलत हैं उनके खिलाफ विद्रोह करने की शिक्षा उन्हें दे सको । जो भी बात विकृति पैदा करती है,उसके खिलाफ उन्हें शिक्षित कर सको ।

हमारे पाठक भी कुछ कम नहीं हैं । अख़बार में अगर कुछ हिंसा नहीं हुई हो,कहीं कोई आगजनी न हुई हो,कहीं लूटपाट न हुई हो,कोई डाका न पड़ा हो,कोई युद्ध न हुआ हो,कहीं बम न फटा हो तो तुम अख़बार पढ़कर कहते हो कि आज तो कोई ख़ास खबर ही नहीं है । क्या तुम इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे ? क्या तुम सुबह-सुबह उठ कर यही अपेक्षा कर रहे थे कि कहों ऐसी घटना हो ? कोई समाचार ही नहीं है । तुम्हें लगता है कि अख़बार में जो खर्च किये,वे व्यर्थ गए । अख़बार तुम्हारे लिए ही छपते हैं । इसलिए अख़बार वाले भी अच्छी खबर नहीं छापते उसे पढने वाला कोई नहीं है, उसमें कोई उत्तेजना नहीं है, उसमें कोई सेंसेशन नहीं है पत्रकारिता पश्चिम की दें है पत्रकारिता को स्वयं को पश्चिम से मुक्त करना है और फ़िर अपने को एक प्रमाणिक , मौलिक आकर देना है यदि तुमने पत्रकारिता को आध्यात्मिक आयाम दिया तो आज नहीं कल पश्चिम तुम्हारा अनुसरण करेगा । क्योंकि वहीँ तीव्र भूख है,गहन प्यास है ।

स्वस्थ पत्रकारिता को विकसित करो । यह पत्रकारों की जिम्मेदारी है कि लोगों के सामने प्रामाणिक तथ्यों को लाएं ताकि उन्हें पता चले कि विकृतियों से कैसे बचा जाए । ऐसी पत्रकारिता विकसित करो जो मनुष्य के पूरे व्यक्तित्व का पोषण करे-उसका शरीर,उसका मन,उसकी आत्मा को पुष्ट करे । ऐसी पत्रकारिता जो बेहतर मनुष्यता को निर्मित करने में संलग्न हो,सिर्फ घटनाओं के वृतांत इकट्ठे न करे । माना कि नकारात्मकता जीवन का हिस्सा है,मृत्यु जीवन का हिस्सा है,लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें अपनी श्मशान भूमि बीच बाजार में बनानी चाहिए ।

तुम अपनी श्मशान भूमि शहर के बाहर बनाते हो, जहाँ सिर्फ एक बार जाते हो और फ़िर वापस नहीं लौटते । इसी कारण नकारात्मकता को मानसिक कुंठा मत बनाओ.नकारात्मकता पर जोर न दो वरन उसकी निंदा करो । यही स्वस्थ पत्रकारिता का लक्ष्य होना चाहिए ।

पत्रकारिता एक नए युग का प्रारंभ बन सकती है । पत्रकारिता में बड़ी-से-बड़ी क्रांति करने की क्षमता है बशर्ते भारत में अलग किस्म की पत्रकारिता पैदा हो,जो राजनीति से नियंत्रित नहीं हो लेकिन देश के प्रज्ञावान लोगों द्वारा प्रेरित हो । पत्रकारिता का मूल कार्य होना चाहिए प्रज्ञावान लोगों को और उसकी प्रज्ञा को प्रकट करना ।

@Samjho Bharat

8010884848

7599250450

No comments:

Post a Comment