*नीम के फूल* ( एक कविता )


नीम के छोटे, नन्हें सफेद फूल याद हैं मुझे

याद हैं वो महकते फूल जिनसे नानी के घर का

आँगन सजता था...

वो नीम का पेड़ और खूब बड़ा सा आँगन

आस पास के घरों का ऐसा बना होना

कि कौन सा घर कौन सी नानी, मामा या मौसी का है

उसमें भेद ना कर पाना

याद है मुझे...

गर्मी की छुट्टियों में वो नानी के घर जाना

भरी दोपहरी में पूरा गाँव छान आना

शाम को वापस आकर लोगों की महफिल का सज जाना 

याद है मुझे

पूरे आँगन में नन्हें सफेद फूलों का हमारी बाट जोहते जाना 

अक्सर हमारा अभिनन्दन करते करते बालों में अटक जाना

याद है मुझे..

वो खट्टी मीठी भीनी सी खुशबू 

जिसके सामने दुनिया का हर इत्र बेकार था 

अपनी खुशबू की तरह मासूम और पाक रिश्ते

थोड़े खट्टे, थोड़े मीठे याद हैं मुझे...

कुछ फूलों का छोटी निम्बोली का रूप ले लेना 

पूरे हरे पेड़ का सफेद फूलों से लद जाना

उसकी खूबसूरती से दिल केसरिया हो जाना

याद है मुझे...

रात तक कुम्हला चुके सफेद फूलों का

थक कर घरों में उड़कर चले जाना याद है मुझे...

वो नीम के नन्हें, महकते, सफेद फूल याद हैं मुझे...

पूनम भास्कर "पाखी"

उपजिलाधिकारी-महोली (सीतापुर)


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