नगर पालिका परिषद शामली का बड़ा खेल,चेयरमैन व अधिशासी अधिकारी का मनमुटाव लोग दिखावा,मिलकर काट रहे चांदी

 


ऐसे समाचार पत्र को दिए जा रहे हैं टेंडर एवं नाम परिवर्तन के विज्ञापन जिसको आज तक नहीं मिला RNI नंबर भी और मान्यता का तो सवाल ही नहीं उठता क्योंकि नहीं इसी समाचार पत्र के प्रधान संपादक हैं चेयरमैन पुत्र अतुल बंसल इस पर अधिशासी अधिकारी आखिर चुप क्यों चुप क्यों हैं जिला के उच्च अधिकारी क्या जितने टेंडर और नाम परिवर्तन के विज्ञापन इस समाचार पत्र में छपे हुए होंगे निरस्त और जितना किया

गया पेमेंट क्या वह होगा वापसी, इतना ही नहीं एक समाचार पत्र में छपी टेंडर के आधार पर जितने विकास कार्यों के टेंडर  प्रकाशित हुए हैं क्या

उन पर भी होगी कार्रवाई क्योंकि वह भी एक तरीके से नियम विरुद्ध दिए गए हैं टेंडर, आपको बता दें कि यूं तो नगर पालिका परिषद शामली जब से वर्तमान चेयरमैन ने चार्ज दिया है

तभी से हर रोज नए नए कारनामे को लेकर चर्चा में रही हैं लेकिन आज एक अनोखे कारण से ही  चर्चाओं में हैं इसी से पता लग जाएगा कि नगरपालिका में कितना बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है आपको बता दें कि नगर पालिका परिषद शामली चेयरमैन व अधिशासी अधिकारी की मिलीभगत के चलते ऐसे समाचार पत्रों में टेंडर प्रकाशित कराए जाते हैं जिन्हें कोई

पढ़ भी ना सके और उन्हें मान्यता भी नहीं है और सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि समाचार पत्र के प्रधान संपादक स्वयं चेयरमैन के बड़े पुत्र हैं अब यूं तो आपने अनेकों बार चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी के मनमुटाव की खबरें देखी  और सुनी  होंगी लेकिन यदि सच्चाई पर जाए तो यह सब उनका एक दिखावा है

और मिलकर काट रहे चांदी, होली की योजना के तहत विपक्ष को अधिशासी अधिकारी के पक्ष में रोकने का प्रयास किया जाता है और एक धड़े को चेयरमैन के पक्ष में कर बनाया जाता है मूर्ख, इसका  जीता जागता उदाहरण है यह शामली का समाचार पत्र जिसको दिए जा रहे हैं  विज्ञापन उस के प्रधान संपादक और कोई नहीं चेयरमैन पुत्र हैं वही

समाचार पत्र का परमानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं आया मात्र टाइटल कोड पर चल रहा है समाचार पत्र इतना ही नहीं किसी भी सरकारी विज्ञापन के लिए ऐसे समाचार पत्र को चुना जाता है जो केंद्र सरकार द्वारा डीएवीपी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सूचीबद्ध हो उसी समाचार पत्र में विज्ञापन छपा जा सकते हैं लेकिन यह दोनों मान्यता तो अलग बात है

अखबार पर अभी परमानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर आरएनआई भी नहीं मिला है ऐसे में इस समाचार पत्र को विज्ञापन मिलना अधिशासी अधिकारी व चेयरमैन के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए काफी है लेकिन यदि अधिशासी अधिकारी और चेयरमैन में है मनमुटाव तो फिर इस समाचार

पत्र को क्यों दिए जा रहे विज्ञापन और क्यों चुप हैं अधिशासी अधिकारी इतना ही नहीं अधिशासी अधिकारी का तो चुप होना समझ में आता है लेकिन जिले के आला अधिकारी अनेकों भ्रष्टाचार एवं उजागर होने के बावजूद भी आखिर चुप क्यों हैं क्यों नहीं कर रहे नगर पालिका चेयरमैन अधिशासी अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्रवाई यह भी क्षेत्र में बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है

आप देखने वाली बात यह होगी कि क्या इतनी बड़ी अनियमितता का खुलासा होने के बावजूद भी क्या होती है कार्रवाई या उप समाचार पत्र को जितने आज तक मिले टेंडर होंगे क्या वे सभी निरस्त या फिर समाचार पत्र को  विज्ञापन के नाम पर जितना हुआ है पेमेंट क्या वह होगा वापसी, इतना ही नहीं उक्त समाचार पत्र में प्रॉपर्टी में नाम परिवर्तन के समाचार

भी प्रकाशित होते हैं जिनमें अनेकों तरह की अनियमितताएं होने के चांस है जो समाचार पत्र मान्यता प्राप्त ही नहीं ऐसे में नाम परिवर्तन के विज्ञापन  प्रकाशित कराकर प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली जाती है तो कहीं ना कहीं इस प्रॉपर्टी में भी गड़बड़ होने का अंदेशा रहता है

क्योंकि जिस समाचार पत्र को विज्ञापन मान्यता ही नहीं ऐसे में प्रॉपर्टी विज्ञापन कि जब मान्यता ही नहीं तो फिर ऐसी प्रॉपर्टी को किस आधार पर उक्त व्यक्ति के नाम कर दिया का यह भी एक बड़ा सवाल है

क्या उप समाचार पत्र में जितने नाम परिवर्तन के विज्ञापन पर खर्च हुए उन प्रॉपर्टी को पूर्व के मालिक के नाम किया जाएगा या फिर इसी समाचार पत्र में

छपे विज्ञापन को सही माना जाएगा यह भी एक बड़ी जांच का विषय है अब देखना यह होगा कोई उच्च अधिकारी इस बार अपनी चुप्पी तोड़ पाएगा कर पाएगा भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्रवाई यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन वर्तमान में इतना तय है कि नगरपालिका

शामली अधिशासी अधिकारी एवं चेयरमैन मिलकर काट रहे हैं चांदी और उच्च अधिकारियों बने बैठे गांधीजी के बंदर  जिन्हें ना कुछ दिखाई देता मैं कुछ सुनाई और न ही वे ऐसे भ्रष्ट अधिकारी एवं चेयरमैन की भीड़ कुछ बोल पाते।

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