जनपद शामली में भी हवा हुई जहरीली जो उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारियों की नाकामी की है देन ?..


सांस और नेत्र रोगियों की जनपद में बढ़ रही संख्या चिंता का विषय,दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है अब जनपद शामली की आबोहवा,हवा खराब होने में मुख्य भूमिका उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों की भी है महत्वपूर्ण भूमिका, 100 से भी ज्यादा जनपद में गन्ना कोल्हू एवं क्रेशरो का नियम विरुद्ध संचालन जो उगल रहे है जहरीला धुआं, जनपद में अनेकों इंडस्ट्रीज में भी नहीं रखा जा रहा है नियम और कानूनों का ध्यान, आपको बता दें कि सभी जनपद शामली की आबोहवा इतनी बिगड़ गई है कि जिसका एक्यूआई भी 367 पर पहुंच गया है इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या स्थिति होगी लगातार गिर रहे इस स्तर से आम इंसान का जीना  दुर्बर हो गया है।

सुबह और शाम के धुएं के साथ प्रदूषण के कण मिलने से लोगों की सांस फूलने लगी है सांस लेने में दिक्कत होने लगी है आंखों में जलन फेफड़ों में संक्रमण घबराहट सिरदर्द तनाव अनिद्रा चिड़चिड़ापन और त्वचा संबंधी बीमारियां भी बढ़ने लगी है इसकी सच्चाई का पता प्राइवेट चिकित्सालयों में प्रतिदिन बढ़ रही मरीजों की संख्या से लगाया जा सकता है लेकिन सबसे बड़ा कारण जनपद में प्रदूषण का जनपद में चल रही गन्ना कोल्हू एवं क्रेशर माने जा रहे हैं वहीं विभाग द्वारा निर्धारित नियम की 10 मीटर से कम हाइट की नहीं होगी चिमनी और आबादी से लगभग 500 मीटर दूरी पर होगा इन इकाइयों का निर्माण के साथ-साथ जिले में कई स्थानों पर चल रहे

निर्माण कार्य जो हवा में उड़ने कारण वातावरण में घूल जाते हैं उद्योग जो अन्य इकाइयां स्थापित है और वाहनों के दो प्रमुख कारण है लेकिन सारा ठीकरा फोड दिया जाता है फसल के अवशेषों पर जो की फसल के अवशेष मात्र 1 से 2 दिन में लगभग सभी किसानों द्वारा अवशेष जलाते हैं उसके बावजूद भी इस तरह की वायु की गुणवत्ता का स्तर गिरने की जिम्मेदारी मात्र फसल के अवशेषों को नहीं दी जा सकती उसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लापरवाह अधिकारियों या यूं कहिए कि अपनी वरिष्ठ प्रवृत्ति के चलते कोई कार्रवाई न कर पाने के कारण उत्पन्न होना प्रमुख कारण है

जिससे दिल के मरीजों के लिए जान का खतरा तक बना हुआ है जहां पूरा देश इसके लिए चिंतित है क्योंकि देश की राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की स्थिति बहुत नाजुक बनी है जिसके लिए दिल्ली सरकार द्वारा कई तरह के ठोस कदम भी उठाए जा रहे हैं लेकिन वही जनपद शामली की स्थिति भी चिंताजनक है लेकिन इस स्थिति में क्योंकि अभी तक गन्ने की अवशेष पत्ती तो जलना शुरू भी नहीं हुई है और ऐसे में इतना प्रदूषण क्योंकि जनपद शामली गन्ना बाहुल्य क्षेत्र चावल ( मुंजी ) की पैदावार तो बहुत कम होती है इसलिए पुराल जलाने का तो सवाल ही नहीं उठता

ऐसे में प्रदूषण की ऐसी स्थिति निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की विफलता का कारण है अब चाहे इसके लिए सरकार और प्रशासनिक अधिकारी किसानों को जिम्मेदार ठहराये या किसी और को लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदार इसमें भ्रष्ट कार्यप्रणाली के चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ जनपद में चल रहे निर्माण कार्य भी हैं

अब देखना होगा कि वायु की गुणवत्ता में कब सुधार होता है कब आम इंसान की जो सांसे अटकी है कब उनको मिलती है शुद्ध हवा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि यदि इस तरीके से उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड काम करता रहा तो निश्चित रूप से आम आदमी का जीना दूभर हो जाएगा।

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