सिया के हुए राम, पुष्प वाटिका की लीला का मंचन


कैराना। गौशाला भवन कैराना में श्री राम लीला महोत्सव बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है जिसमें श्री रामलीला महोत्सव के सातवें दिन का कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी और भाजपा नेता विवेक प्रेमी और डॉक्टर राजेंद्र जी ने दीप प्रज्वलित कर किया इसके उपरांत प्रथम दृश्य दिखाया गया कि भगवान रामचंद्र जी पुष्प वाटिका में पूजा अर्चना के लिए पुष्प और फल एकत्रित करने के लिए आते हैं इसी दौरान जनकपुरी के राजा जनक की पुत्री सीता जी भी अपनी सखियों के साथ दुर्गा माता की पूजा अर्चना करने के लिए वहां पहुंच जाती है भगवान राम और सीता जी एक दूसरे को देख कर मन ही मन बेहद प्रसन्न होते हैं और सीता जी को याद आती है कि एक बार मुझे दुर्गा माता जी आशीर्वाद दिया था तुम्हें अपने अपने पतिदेव के दर्शन इसी पुष्प वाटिका में होंगे और शायद वह दिन आज आ गया है

और वह दुर्गा माता से प्रार्थना करती है कि मेरी मनोकामना पूर्ण हो जिस पर माताजी उसे आशीर्वाद देती है कि आपकी मनोकामना पूर्ण होगी l वही जनकपुरी के राजा जनक अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर की मुनादी कराने का आदेश अपने मंत्री को देते हैं जिस पर मुनादी करने वाला जनकपुरी और देश के अन्य राज्यों में मुनादी करता है कि महाराजा जनक की पुत्री सीता का विवाह उस राजकुमार से होगा जो भगवान शंकर पिनाक नामक शम्भू चाप पर स्वयंवर के दौरान चीला चढ़ाएगा वही सीता जी का पति कहलाएगा वही दृश्य दिखाया गया कि महाराजा जनक अपनी पुत्री का स्वयंवर रचाते हैं जिसमें बहुत सारे राजा योद्धा महाराजा राजकुमार शंभु चाप पर चिल्ला चढ़ाने के लिए आते हैं

परंतु चिल्ला नहीं चढा पाते हैं इसी दौरान लंका का राजा रावण भी शंभु चाप पर चीला चढ़ाने के लिए आता है परंतु वह भी धोखे का शिकार होकर इस प्रयास में विफल हो जाता है वही अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राजकुमार राम और लक्ष्मण जी भी गुरु विश्वामित्र के साथ सीता स्वयंवर में पहुंचते हैं जब जनक को यह पता लगता है कि कोई भी योद्धा चिल्ला नहीं चढ़ा पा रहा है तो वह बेहद हताश होता है

जिस पर लक्ष्मण जी को क्रोध आ जाता है और वह जनक जी को खरी-खोटी सुना देते हैं जिस पर गुरु विश्वामित्र जी लक्ष्मण जी को शांत करते हुए रामचंद्र जी को आदेश देते हैं कि इस नेक कार्य को आप ही करें इस पर भगवान राम शंभू चाप पर चीला चढा देते हैं और माता जानकी भगवान राम को वरमाला पहनाकर राजा जनक के परण को पूर्ण करती है जब शंभु चाप पर चिल्ला चढ़ाने की जानकारी परशुराम जी को होती है तो महर्षि परशुराम सीता स्वयंवर में पहुंच जाते हैं और क्रोधित होकर जनक से पूछते हैं कि शंभु चाप पर चीला किसने चढ़ाया है तो जनक पूरा वृतांत बताते हैं

वही लक्ष्मण जी परशुराम जी की मजाक ले लेते हैं तो क्रोधित परशुराम भगवान राम और लक्ष्मण पर अपनी फरसा से वार करने का प्रयास करते हैं परंतु उनकी सरसा नहीं चल पाती है जिस पर वह समझ जाते हैं कि आज फरसा न चलने का कारण यही है कि पृथ्वी पर नारायण भगवान ने अपना दूसरा अवतार लिया है

और वह भगवान रामचंद्र जी से क्षमा मांगते हुए अपना दोष मानते हैं कार्यक्रम के दौरान राम का अभिनय सतीश प्रजापत लक्ष्मण का अभिनय राकेश प्रजापत सीता का अभिनय शिवम गोयल सखियों का अभिनय सागर मित्तल रोहित नामदेव सनी धीरू जनक का अभिनय ऋषि पाल शेरवाल राजाओं का अभिनय अमन गोयल पुनीत गोयल आयुष गर्ग सोनू कश्यप देव गर्ग  वासु मित्तल राकेश सप्रेटा अरविंद मित्तल रावण का अभिनय शगुन मित्तल विश्वामित्र का अभिनय आशु गर्ग परशुराम का अभिनय नवीन शर्मा गुड्डू दुर्गा माता का अभिनय बाल कन्या कनक मित्तल रिद्धि गोयल पूर्वी सिंघल ने किया कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से डॉ राम कुमार गुप्ता अतुल गर्ग आंसू सिंगल आलोक गर्ग अभिषेक गोयल जय पाल कश्यप राजेश नामदेव विजय नारायण संजू वर्मा अंकित जिंदल मोहनलाल आर्य आदि मौजूद रहे l

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