सीता का हरण कर लंका ले गया रावण , स्वरूप नखा की कटी नाक


कैराना। गत रात्रि गौशाला भवन कैराना में श्री रामलीला महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है श्री रामलीला महोत्सव के 11 वे  दिन श्री रामलीला महोत्सव का शुभारंभ वरिष्ठ उपनिरीक्षक  राधेश्याम जी और उप निरीक्षक राहुल कादयान और उप निरीक्षक पवन सैनी ने संयुक्त रूप से भगवान गणपति के सामने दीप प्रज्वलित किया वही कार्यक्रम के दौरान प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि राम लक्ष्मण सीता वनों में गमन कर रहे हैं और किसी पवित्र स्थान की तलाश करते हुए रास्ते में उन्हें अगस्त मुनि की कुटिया मिलती है जहां वह अगस्त मुनि को प्रणाम करते हुए अपना सारा वृतांत बताते हैं और निवास करने के लिए उचित स्थान पूछते हैं जहां पर शांतिपूर्वक वह अपना भजन कीर्तन कर सकें तभी अगस्त ऋषि उन्हें बताते हैं कि कुछ ही दूर पर पंचवटी नामक स्थान है जहां आप आराम से कुटिया बनाकर अपना निवास कर सकते हैं तभी वहां पर राम लक्ष्मण जी पंचवटी में अपनी अलग-अलग कुटिया बनाकर निवास करने लगते हैं इसी दौरान वहां पर लंका के राजा रावण की बहन स्वरूपनखा भी घूमती घूमती पहुंच जाती है और वह राम लक्ष्मण को अपनी और मोहित कर उनसे विवाह करने का प्रयास करती है

परंतु राम और लक्ष्मण उनकी बातों में नहीं आते हैं जिस पर क्रोधित स्वरूपनखा राक्षस नी का रूप धारण कर सीता जी को डरा देती है तभी क्रोधित लक्ष्मण स्वरूप नखा की नाक कान काट देते हैं स्वरूपनखा अपनी नाक कान काटने की बात जब अपने भाई खर और दूखन को बताती हैं तो खर दूखन अपनी सेना लेकर राम और लक्ष्मण का वध करने के लिए जाते हैं परंतु युद्ध के दौरान उन दोनों की सारी सेना मारी जाती है तभी स्वरूपनखा अपनी व्यथा लेकर रावण के दरबार में जाती है और रावण को सारा वृतांत बताती है जिस पर रावण की सारी सेना रावण से आज्ञा मांगती है कि आप हमें हुकुम दीजिए और उन दोनों तपस्वीयो को अपने सामने हाजिर लीजिए परंतु रावण समझ जाता है

और अपनी सभा बर्खास्त करते हुए स्वयं सोचता है कि मेरे समान खर और दूखन को मारने वाला कोई साधारण मानव नहीं है परंतु निश्चिंत रूप से नारायण ने अवतार लिया है मेरा शरीर तामसी है इससे भजन कीर्तन तो नहीं बनता है इसलिए मैं राम से बैर करूँगा और अपने तामसी शरीर का उद्धार कर आऊंगा तभी वह सोचता है कि बैर भाव किस प्रकार बनाया जाए और वह मन ही मन विचार बनाता है कि रामचंद्र जी की पत्नी सीता जी को हरण करके लाया जाए लेकिन हरण के लिए एक व्यक्ति से कार्य नहीं चल सकता इसलिए वह मारीच के पास जाता है और मरीज से विनती करता है कि आप भेष बदलने में माहिर हो आप हिरण का भेष बनाकर जाओ ओर राम उसे पकड़ने जाएगा मैं सीता को हरण कर ले आऊँगा l मारीच रावण को काफी समझाता है परंतु क्रोधित रावण मारीच की बातों में नहीं आता है और उसे बलपूर्वक अपने साथ जाने के लिए मजबूर करता है तभी मारीच समझ जाता है

कि इस राक्षस से बेहतर है कि मैं प्रभु राम के बाण से मरू तभी मारीच रावण के साथ पंचवटी में पहुंच जाता है और हिरण का भेष धारण करके पंचवटी में घूमता है सीता जी हिरण को देखकर बेहद प्रसन्न होती है और रामचंद्र जी से विनती करती है कि आप हिरण को पकड़ कर लाओ रामचंद्र जी हिरण पकड़ने के लिए चले जाते हैं तो वह मायावी हिरन जंगल की ओर भाग जाता है तभी मायावी मारीच आवाज लगाता है कि लक्ष्मण लक्ष्मण मुझे बचाओ सीता जी के मन में यह विचार आता है कि शायद प्रभु राम किसी संकट में है और वह लक्ष्मण को कहती है कि आप उनके पास चले जाओ परंतु लक्ष्मण उन्हें समझाता है कि यह कोई मायावी जाल है

मैं आपको छोड़कर नहीं जा सकता परंतु सीता जी क्रोधित हो जाती हैं और लक्ष्मण जी से कहती हैं कि तुम्हारे मन में कुछ गलत और कपट का विचार आ रहा है जिससे लक्ष्मण जी सुनते ही काफी परेशान होते हैं और वह लक्ष्मण रेखा खींचकर सीता जी से विनती करते हैं कि आप इस रेखा से बिल्कुल बाहर न निकलना और रामचंद्र जी की तलाश में निकल जाते हैं इसी दौरान रावण पंचवटी में भिक्षा ग्रहण करने के लिए साधु का वेश धर के जाता है और सीता जी से भिक्षा मांगता है जिस पर सीता जी लक्ष्मण रेखा के अंदर दीक्षा ग्रहण करने के लिए कहती हैं जिस पर रावण लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर भिक्षा देने के लिए बोलता है परंतु सीता जी उसे बताती है कि मेरे देवर लक्ष्मण ने मुझे वचन दे रखा है कि इस लक्ष्मण रेखा से बाहर मत जाना जिस पर भिक्षा ग्रहण करने के लिए आए साधु रूपी रावण क्रोधित होकर पंचवटी से जाने का यत्न करता है तो सीता जी उन्हें रोकती है और लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर भिक्षा देती है जिस पर साधु रूपी रावण अपना लंकेश रावण का रूप धारण कर लेता है और सीता जी को अपने पुष्पक विमान में बैठाकर हरण कर ले जाता है तो रास्ते में उन्हें जटायु नामक पक्षी मिलता है जो उन्हें रोकने और समझाने का काफी प्रयास करता है परंतु क्रोधित रावण उसे घायल कर देता है और सीता जी को अपने साथ लंका में अशोक वाटिका ले जाता है जब राम और लक्ष्मण पंचवटी में पहुंचते हैं

और देखते हैं कि सीता जी नहीं है तो वह बेहद व्याकुल और परेशान हो जाते हैं और सीता जी को खोजने के लिए निकल जाते हैं तो रास्ते में उन्हें जटायु नामक घायल पक्षी जिसको रावण ने घायल किया था  मिलता है और उन्हें सारा वृत्तांत बताता है और उन से निवेदन करता है कि हे नाथ आप मेरा उद्धार कर दीजिए जिस पर राम और लक्ष्मण जी जटायु का उद्धार करते हैं और अंतिम संस्कार करते हैं और सीता जी की खोज में निकल जाते हैं पंचवटी की झांकी का बहुत ही सुंदर दृश्य सीनरी डायरेक्टर सुनील कुमार उर्फ टिल्लू ने प्रस्तुत किया राम का अभिनय सतीश प्रजापति लक्ष्मण का राकेश प्रजापत सीता जी का अभिनय शिवम गोयल स्वरूपनखा का अभिनय पुनीत गोयल रावण का अभिनय शगुन मित्तल खर का अभिनय प्रमोद गोयल दूखन का सोनू कश्यप मायावी हिरन का धीरू शिवम साखी का अभिनय अरविंद मित्तल राकेश सप्रेटा मेघनाथ का अभिनय आशीष नामदेव मारीच का अभिनय ऋषि पाल शेरवाल तथा दरबारियों का अभिनय वाशु मित्तल  उर्फ भालू आयुष गर्ग आदि ने किया रामलीला मंचन के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से  डाक्टर रामकुमार गुप्ता  राहुल सिंघल अभिषेक गोयल संजू वर्मा सोनू नेता  मनोज मित्तल राजेश सिंघल पंकज सिंघल आशु गर्ग अतुल गर्ग पदम सेन नामदेव दीपांशु गर्ग आलोक गर्ग रोहित  अश्वनी सिंगल आशु विजय नारायण तायल मोहनलाल आर्य ढोलक मास्टर पप्पू हारमोनियम मास्टर शंकर साउंड मास्टर राहुल शर्मा  रविंद्र रोहिल्ला हर्ष बंसल राकेश भारद्वाज अनमोल कुचल अंकित जिंदल ऋषभ कुछल वंश गोयल जयपाल सिंह कश्यप पवन जैन  पारस वर्मा रोहित कश्यप पदम सैनी विकास जय देव आदि मौजूद रहे l

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